इंदौर। लोक सेवा आयोग (पीएससी) द्वारा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन के बाद केवल 158 पदों की घोषणा होने से विवाद गहराता जा रहा है। इस निर्णय के खिलाफ पहले से नाराज युवाओं में रोष और बढ़ गया है। हाल ही में हुए आंदोलन के प्रमुख और एनईवाययू के संयोजक राधे जाट और रणजीत किशानवंशी को पुलिस द्वारा ले जाने की सूचना है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कौन सी पुलिस ले गई है। घरवाले और दोस्त भी उनकी स्थिति से अनजान हैं।
दोनों की गिरफ्तारी की घटनाओं को लेकर उनके दोस्तों ने बताया कि सुबह राधे जाट को उनके तीन इमली स्थित निवास से पुलिस लेकर गई, जबकि रणजीत किशानवंशी को भंवरकुआं क्षेत्र में एक मित्र के फ्लैट से ले जाया गया। पुलिस ने किसी को कोई जानकारी नहीं दी, और अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि दोनों कहां हैं। जब उनके वकील भंवरकुआं थाने पहुंचे, तो पुलिस ने किसी भी गिरफ्तारी से इंकार कर दिया। एसीपी देवेंद्र सिंह धुर्वे ने भी गिरफ्तारी की खबरों को खारिज किया।
एमपीपीएससी का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद युवाओं में गुस्सा फूट पड़ा। रात को आंदोलनकारियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश साझा किए, जिसमें उन्होंने सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया। राधे जाट और रणजीत ने अपने संदेश में कहा कि 700 पदों की मांग के मुकाबले केवल 158 पदों का आना युवाओं के साथ अन्याय है, और इसके लिए सरकार को जवाब देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब वे पीछे नहीं हटेंगे और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। इसके बाद रात दो बजे गूगल मीट के जरिए लगभग 150 युवा जुड़े और तय हुआ कि बुधवार को भंवरकुआं स्थित डीडी गार्डन में आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। लेकिन बैठक से पहले ही दोनों आंदोलनकारियों को उठा लिया गया।
इससे पहले 90 घंटे तक पीएससी के बाहर चले आंदोलन ने सरकार को झकझोर दिया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर सकारात्मक आश्वासन दिया था, जिसके बाद आंदोलन समाप्त हो गया। युवाओं को उम्मीद थी कि अगर 700 पद नहीं तो कम से कम 300-400 पद दिए जाएंगे, लेकिन केवल 158 पदों की घोषणा ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब इस मामले ने एक बार फिर आंदोलन की आग भड़का दी है।