ग्वालियर। नगर निगम सीमा के विस्तार के बाद शहरी क्षेत्र में आए जल संसाधन विभाग के बांधों को अब नगर निगम को सौंपने की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत इन सभी बांधों का सौंदर्यीकरण एवं रखरखाव आदि की जिम्मेदारी नगर निगम उठाएगा। निगम के पास आने से इन बांधों को पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करने की भी योजना है। वहीं जल संसाधन विभाग का नियम है कि अक्टूबर माह के बाद बांधों को खाली कर इनका उपयोग खेती के लिए किया जाता है, लेकिन निगम सीमा में आने के बाद अब इन बांधों में पानी भरा रह सकेगा।
स्वर्ण रेखा नदी पर बने हनुमान बांध, वीरपुर बांध, जडेरूआ बांध एवं मुरार नदी पर बने रमौआ और अलापुर बांध नगर निगम सीमा में आते हैं। हनुमान बांध के जलभराव वाले क्षेत्र में बहुत अतिक्रमण हो चुका है। इसके जलभराव वाले क्षेत्र में लोगों ने मकान बना लिए हैं। वहीं तिली फैक्ट्री से आने वाला मलबा व गाद के कारण इसके सीपेज भी बंद हो गए हैं। वहीं वीरपुर बांध को भरने वाले नालों का रुख लोगों ने खेती करने के लालच में मोड़ दिया है। इसके कारण यह बांध भर नहीं पाता है।
रमौआ बांध: इसका उपयोग पानी सप्लाई के लिए हो सकता हैः रमौआ बांध के कैचमेंट एरिया में भी अतिक्रमण हो गया है, यहां पर लोगों ने खेती करना शुरू कर दी है। इसके साथ ही रमौआ बांध में हरसी नहर आकर जुड़ी है। इस बांध का उपयोग नगर निगम पानी की सप्लाई के लिए कर सकता है। इसके साथ ही यह शहर के लिए पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। अभी अक्टूबर माह में इस बांध का पूरा पानी निकालकर मुरार नदी में बहा दिया जाता है, जबकि इस बांध के अंदर गाद जमा नहीं होने के कारण इसका पानी बहुत तेजी से जमीन सोखती है। इसके चलते करीब 20 किलोमीटर के क्षेत्र का भू-जलस्तर तेजी से बढ़़ता है।
अलापुर बांध: यहां सर्दियों में आते हैं देशी-विदेशी पक्षीः अलापुर बांध के अंदर पक्षियों की सैंक्चुरी है, यहां पर पानी भरा रहे तो सर्दियों के मौसम में देशी और विदेशी पक्षी बड़ी संख्या में आते हैं, लेकिन इसके पानी को भी अक्टूबर के बाद बहा दिया जाता है।
जल संसाधन विभाग ने पांच बांधों को नगर निगम को सौंपेने की योजना बनाई है। नगर निगम भी इन बांधों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रहा है।