भोपाल: मध्य प्रदेश और इसके पड़ोसी राज्यों में बढ़ रही नक्सली गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आज दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित की गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में यह बैठक हो रही है, जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया है। इस बैठक का उद्देश्य नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना है।
नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण बैठक में मध्य प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, ओडिशा, और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया है। यह बैठक नक्सली हिंसा और गतिविधियों को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार की गंभीरता को दर्शाती है।
बालाघाट जिला: सरकार की नजर
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिला, जो नक्सलियों का प्रमुख गढ़ माना जाता है, पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। गृह मंत्रालय के अनुसार, मध्य प्रदेश में तीन जिले नक्सल प्रभावित हैं, जिनमें मंडला और डिंडोरी को कम प्रभावित श्रेणी में रखा गया है, जबकि बालाघाट को अति प्रभावित जिलों में गिना जाता है।
नक्सलवाद खत्म करने की प्रतिबद्धता
केंद्रीय गृह मंत्रालय के वक्तव्य के अनुसार, सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करना है। पिछले कुछ वर्षों में नक्सली हिंसा में भारी कमी आई है। 2010 के मुकाबले 2023 में नक्सली हिंसा में 72% की कमी देखी गई है और मृत्युदर में 86% तक की गिरावट आई है।
गृह मंत्री अमित शाह की अंतिम बैठक 6 अक्टूबर 2023 को आयोजित हुई थी, जिसमें नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिशा-निर्देश दिए गए थे। तब से अब तक सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ कई सफलताएं प्राप्त की हैं। 202 नक्सली मारे गए, 723 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, और 812 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है।
इस बैठक से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में नक्सली गतिविधियों पर अंतिम प्रहार के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाएगी। केंद्र और राज्य सरकारें इस दिशा में मिलकर काम कर रही हैं, ताकि नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास सुनिश्चित किया जा सके।