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मामा के घर में भांजों पर अत्याचार, 2 आदिवासियों की बेरहमी से पिटाई

सीहोर। मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय के प्रति अत्याचार की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं और इस बार मामला पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी से सामने आया है। जहां पर 2 आदिवासी युवकों की बेरहमी से पिटाई की गई, जो रोजगार की तलाश में पलायन कर नसरुल्लागंज में एक मिल में काम कर रहे थे, उन्हें बेरहमी से पीटा गया।

वायरल वीडियो में एक युवक पाइप से पिटाई कर रहा है, तो दूसरा युवक उसका हाथ पकड़ रहा है। पिटाई कर रहा युवक पीड़ित से बोल रहा है कि कान पकड़ और पूछ रहा है तूने और क्या चुराया है। एक युवक सोफे पर बैठा है, जो पीड़ित पर चोरी का आरोप लगा रहा है। वीडियो के लास्ट में कुछ लोग बीच-बचाव भी कर रहे हैं और कह रहे हैं पुलिस को बुलाओं. दोनों युवक नसरुल्लागंज स्थित एक मिल में हम्माली का काम करते है।

इस घटना ने एक और कोण को उजागर किया है। शिवराज सिंह चौहान को ‘मामा’ के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनके घर में भांजों पर अत्याचार की यह घटना इस बात को स्पष्ट करती है कि आदिवासी समुदाय को उनके क्षेत्र में भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता… इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब आदिवासी युवकों को रोजगार की तलाश में भी सुरक्षा नहीं मिल रही, तो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

वहीं, इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने एक्स पर ट्वीट किया- मप्र आदिवासी अत्याचार में अव्वल हैं, केंद्रीय कृषि मंत्री और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा बुधनी में 2 आदिवासी युवाओं को बेरहमी से पीटा गया। दोनों युवक रोजगार के लिए पलायन कर नसरुल्लागंज में एक मिल में हम्माली करने गए थे। मोहन यादव जी, आपकी सरकार में मध्यप्रदेश आदिवासियों के लिए नर्क से भी बदतर बन चुका है।

आदिवासी युवकों की पिटाई ने यह संदेश भेजा है कि मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय के साथ न केवल भेदभाव और अत्याचार की घटनाएँ बढ़ रही हैं, बल्कि इस समुदाय को सरकारी सुरक्षा और न्याय की उम्मीद भी कमजोर होती जा रही है। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा में सरकार और स्थानीय नेताओं की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

सवाल उठता है कि जब ‘मामा’ के घर में ही भांजों पर अत्याचार हो रहा है, तो आदिवासी समुदाय के लिए सुरक्षा और न्याय की गारंटी कैसे हो सकती है? इस प्रकार की घटनाएँ न केवल आदिवासी समुदाय के लिए संकट की स्थिति पैदा करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि स्थानीय प्रशासन और सरकारी नेताओं को इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है।

 

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