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Friday, September 20, 2024

‘सीखो कमाओ योजना’, बेरोज़गारी का नया चेहरा, कंपनी ने ट्रेनियों को निकाला

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भोपाल: मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना, जिसे युवाओं को कौशल विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, अब विवादों में घिरी हुई है। योजना के तहत इंटर्नशिप के बाद कई युवाओं को नौकरी नहीं मिलने के कारण वे फिर से बेरोजगार हो गए हैं।

कंपनी का असंवेदनशील रवैया:
श्री सिंगाजी पावर जनरेटिंग कंपनी ने 71 प्रशिक्षार्थियों को एक साल के प्रशिक्षण के लिए भर्ती किया था, लेकिन प्रशिक्षण की समाप्ति पर किसी को भी स्थायी या अस्थायी नौकरी नहीं दी गई। इसके बजाय, एक आदेश जारी किया गया जिसमें लिखा गया था कि प्रशिक्षण की अवधि समाप्त हो गई है और किसी भी नियुक्ति की बात नहीं की गई।

प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद, इन युवाओं को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं और वे नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं। सरकार की योजना ने इन युवाओं को आशा दी थी, जो अब निराशा में बदल गई है।

कांग्रेस का हमला:
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार की आलोचना की है और इसे युवाओं के साथ अन्याय बताया है। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार ने युवाओं को रोजगार के सपने दिखाए और अब उन्हें बेरोजगारी की स्थिति में छोड़ दिया है।

योजना का उद्देश्य:
मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना (MMSKY) का उद्देश्य युवाओं को औपचारिक शिक्षा के बाद विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है। योजना के तहत युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के साथ-साथ एक निश्चित मासिक स्टाइपेंड भी दिया जाता है।

प्रशिक्षण और स्टाइपेंड:
योजना के तहत, आईटीआई, 12वीं पास युवाओं को 1 साल के लिए कंपनियों में इंटर्नशिप का अवसर दिया जाता है। स्टाइपेंड की राशि शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 8,000 रुपये से 10,000 रुपये प्रति महीना तक होती है।

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