न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल ही में बताया कि 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को एक “ओपन लेटर” लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण पैदा करने वाला वायरस कुछ समय के लिए हवा में भी रह सकता है और इस तरह यह हवा के माध्यम से फ़ैल सकता है।
वैज्ञानिकों ने “साक्ष्य दिखाते हुए कहा है कि छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं, और इसलिए वैज्ञानिक WHO को अपने सुझावों में संशोधन करने के लिए कह रहे हैं”।
क्या हवा के माध्यम से सच में फैलता है वायरस ?
साँस के माध्यम से फैलने वाला कोई भी संक्रमण जैसे कोविड -19 अलग-अलग साइज़ की ड्रॉपलेट (छोटी बूंदों) के माध्यम से फैलता है। यदि ड्रॉपलेट के कण 5-10 माइक्रोन से बड़े होते हैं, तो उन्हें श्वसन ड्रॉपलेट बोला जाता है; यदि ये 5 माइक्रोन से छोटे होते हैं, तो इन्हें ड्रॉपलेट न्यूक्लि बोला जाता है। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि “वर्तमान जानकारी के अनुसार, कोविड -19 वायरस मुख्य रूप से श्वसन ड्रॉपलेट और संपर्क में आने से लोगों के बीच फैलता है।
हालाँकि, वैज्ञानिकों द्वारा लिखे गए पत्र से इस बात का संकेत मिलता है कि एयरोसोल ट्रांसमिशन भी हो सकता है।
दूसरे शब्दों में, डब्लूएचओ का दृष्टिकोण यह है कि बोलने, खाँसने, छींकने आदि के दौरान उत्पन्न होने वाली वायरस युक्त ड्रॉपलेट व्यास में 5-10 माइक्रोन से बड़ी होती हैं और जिस कारण हवा में 1 मीटर से अधिक दूरी तक घूमने के बाद गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती पर गिर जाती हैं। दूसरी ओर, 239 वैज्ञानिक इस बात का सबूत दे रहे हैं कि यह वायरस ड्रॉपलेट न्यूक्लि (व्यास में 5 माइक्रोन से कम) में मौजूद हो सकता है जो 1 मीटर से अधिक लंबी दूरी तक यात्रा करती हैं और अधिक समय तक हवा में रह सकती हैं।
यदि यह प्रमाणित हो जाता है, तो इसका मतलब होगा कि संक्रमण फैलने का जोखिम, हमारी सोच से कई गुना ज्यादा है।