भाेपाल। वर्तमान में मध्य प्रदेश के मौसम काे प्रभावित करने वाली कोई प्रभावी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। मानसून ट्रफ भी हिमालय के तराई क्षेत्र में पहुंच गया है। इस वजह से मप्र में वर्षा की गतिविधियाें में कमी आ गई है। उधर शुक्रवार काे सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक सिवनी में 37, दमाेह में 23, खजुराहाे में नौ, सतना में नौ, गुना में छह, जबलपुर में 5.4, मंडला में तीन, रतलाम में दाे, छिंदवाड़ा में एक, मलाजखंड में 0.8 मिलीमीटर वर्षा हुई।
मौसम विज्ञानियाें के मुताबिक फिलहाल भारी वर्षा के आसार नहीं हैं। हालांकि वातावरण में नमी मौजूद रहने के कारण जबलपुर, भाेपाल, सागर संभागाें के जिलाें में कहीं–कहीं गरज–चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। बता दें कि इस सीजन में शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे तक मप्र में कुल 507.2 मिमी. वर्षा हाे चुकी है। जाे सामान्य (428.9 मिमी.) वर्षा की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है। हालांकि अभी भी 10 जिलाें में सामान्य कम वर्षा हुई है।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक जुलाई माह की शुरुआत से ही प्रदेश में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला शुरू हुआ था। इस दौरान कहीं-कहीं भारी वर्षा हुई। मानसून ट्रफ के लगातार प्रदेश में बने रहने के कारण बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर से नमी मिलते रहने से वर्षा हाेती रही।
गुरुवार काे मानसून ट्रफ हिमालय की तराई की तरफ खिसक गया है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में मप्र के मौसम काे प्रभावित करने वाली काेई प्रभावी मौसम प्रणाली भी सक्रिय नहीं है। इस वजह से वर्षा की गतिविधियाें में कमी आ गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में मानसून ट्रफ गंगानगर, हिसार, बरेली, पटना, असम से हाेते हुए बांग्लादेश तक बना हुआ है। मानसून ट्रफ के तराई क्षेत्र में रहने के कारण मप्र में वर्षा का क्रम थमने लगा है। दाे अगस्त से मानसून ट्रफ के फिर नीचे की ओर आने की संभावना है। जिसके चलते तीन अगस्त से मप्र में वर्षा की गतिविधियाें में तेजी आने लगेगी।