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बिना परमीशन के होगी मंत्रियों के बंगलों की मरम्मत, लेकिन सड़कों के पेमेंट के लिए लेनी होगी अनुमति

भोपाल: मंत्रियों के बंगलों की सजावट पर होने वाले खर्च पर लगी रोक को अब वित्त विभाग ने हटा दिया है। इसके साथ ही आम जनता से जुड़ी हवाई पट्टियों के निर्माण, भूमि अधिग्रहण, और देवारण्य योजना जैसी 52 योजनाओं में खर्च के लिए अनुमति की जरुरत नहीं होगी। हालाँकि, 33 विभागों की 73 योजनाओं में खर्च पर वित्त विभाग की अनुमति का प्रावधान अब भी लागू रहेगा, जिसे मार्च 2025 तक प्रभावी किया गया है।

लेकिन वित्त विभाग ने शहरी सड़कों के सुधार, पीडब्ल्यूडी की सड़कों के रखरखाव, डामरीकरण और नवीनीकरण के लिए फंड के लिए अनुमति लेनी होगी।

23 अगस्त को जारी निर्देश के अनुसार, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना आवास योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, एमपी पुलिस आवास योजना, किसानों के अल्पकालीन ऋण पर ब्याज और ऋण समाधान योजना, स्कूटी योजना, साइकिल प्रदाय योजना, आदिवासी बर्तन प्रदाय योजना, मुख्यमंत्री कृषि मित्र योजना, तीर्थ यात्रा योजना सहित कई अन्य लाभकारी योजनाओं में खर्च के लिए वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक होगी। इससे पहले, 23 जुलाई को जारी निर्देश में 47 विभागों की 125 योजनाओं में खर्च के लिए वित्त विभाग की अनुमति अनिवार्य की गई थी।

यह नए प्रतिबंध अगस्त 2024 से लागू होंगे और मार्च 2025 तक प्रभावी रहेंगे। इन नए निर्देशों में कुछ योजनाओं को सामान्य खर्च की श्रेणी में रखा गया है, जबकि शेष योजनाओं के लिए वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक होगी। ये निर्देश सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष और बजट नियंत्रण अधिकारियों के लिए जारी किए गए हैं।

पिछले महीने 14 विभागों की विभिन्न योजनाओं में खर्च के लिए अनुमति अनिवार्य की गई थी, लेकिन अब इन विभागों की योजनाओं को अनुमति की आवश्यकता से मुक्त कर दिया गया है। इनमें वन, वाणिज्यिक कर, नर्मदा घाटी विकास, प्रवासी भारतीय, उच्च शिक्षा, आयुष, विमानन, पंचायत, पशुपालन, जेल, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामान्य प्रशासन विभाग शामिल हैं।

वहीं, कुछ अन्य विभागों की योजनाओं में खर्च के लिए वित्त विभाग की अनुमति अभी भी आवश्यक है। इन विभागों में नगरीय विकास और आवास, गृह, महिला और बाल विकास, चिकित्सा शिक्षा, सहकारिता, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन, एमएसएमई, संस्कृति, जनजातीय कार्य, अनुसूचित जाति कल्याण, जनसंपर्क, राजस्व, उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण, श्रम, किसान कल्याण और कृषि विकास, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, लोक निर्माण, स्कूल शिक्षा, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, नवीन और नवकरणीय ऊर्जा, घुमंतु, अर्धघुमंतु जनजाति, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, परिवहन, सामाजिक न्याय और निशक्तजन कल्याण, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास, धार्मिक न्यास और धर्मस्व, लोक सेवा प्रबंधन, खेल और युवक कल्याण, और पर्यटन विभाग शामिल हैं।

इन योजनाओं में खर्च के लिए पहले वित्त विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य होगा, जिससे कि बजट आवंटन और खर्च को नियंत्रित किया जा सके।

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