सागर। सागर (बीना) सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के जरिए वहां की प्रगति की बात करती हो लेकिन आज भी प्रदेश के कई गांव ऐसे हैं जहां गरीब और दलित लोगों के लिए अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने पक्के चबूतरे टीन शेड तक नहीं है। ऐसे में बारिश के दिनों में कई बार ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें अंतिम संस्कार के दौरान घंटों चिता के ऊपर शैड तान कर खड़े रहना पड़ता है तब कहीं जाकर लोगों का अंतिम संस्कार हो पाता है।ऐसा ही एक मामला शनिवार को देखने में आया जब किर्रावदा ग्राम पंचायत के पाली गांव में ग्रामीण का अंतिम संस्कार करने के दौरान लोग घंटों चादर तान कर खड़े रहे और श्मशान में बैठे रहे। बारिश के कारण कहीं चिता की आग ठंडी ना पड़ जाए इसलिए वे चिता के पास गर्मी में भी खड़े रहे। यह घटना नगरपालिका बीना से लगी किर्रावदा ग्राम पंचायत के पाली गांव की है।
अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए चार भाई और गांव के उनके सहयोगी कई घंटे तक श्मशान घाट में बैठे रहे। चिता की आग बारिश में आग बुझ न जाए। इसके लिए लोग टीन एवं चादर पकड़कर घंटों तक जलती चिता के पास खड़े रहे। लोगों को यह भी डर था कि कहीं घर पर पहुंचने के बाद तेज बारिश हुई तो चिता सहित अधजला शव जलाशय में न बह जाए। घटना नगर पालिका बीना से लगी किर्रावदा ग्राम पंचायत के पाली गांव की है। यहां पर अभी तक श्मशानघाट में इतनी व्यवस्था भी नहीं हो सकी है कि गांव के लोग बारिश के मौसम में किसी का अंतिम संस्कार कर सकें। दो तरफ से नालों में घिरी एक खाली पड़ी जगह ही शमशानघाट है। साल के बाकी दिनों में तो ठीक है।
लेकिन बारिश में यहां पर अंतिम संस्कार करना किसी चुनौती से कम नहीं है।पाली गांव के सनी अहिरवार ने बताया कि मेरे पिता 70 वर्षीय मुन्नालाल का सुबह पांच बजे देहांत हो गया था। सुबह साढ़े ग्यारह बजे हम लोग शमशान पहुंचे, लेकिन वहाँ पर डेढ़-डेढ़ फीट पानी भरा था। गांव के लोगों ने शमशान के चारों और नालियों खोदकर पानी निकाला तब कहीं हम हर 2 बजे अंतिम संस्कार कर पाए। इसके बाद बारिश शुरू हो गई, जिसके कारण लकड़िया भीग गई और आग बुझने लगी। तो गांव से टीन के टुकड़े लेकर आप और चिता के ऊपर लगाकर लोग खड़े हो गए। सनी ने बताया की वह अपने तीन भाईयों और गांव के कुछ लोगो सहित रात एक बजे तक इस डर से शमशान में बैठ रहे कि पानी गिरने से कहीं आग ना बुझ जाए।