भोपाल: अवैध कॉलोनियों पर नियंत्रण के लिए मोहन सरकार ने सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अवैध कॉलोनियों को रोकने के नियमों को कड़ा करने के लिए नए प्रावधान तैयार किए हैं। इन प्रावधानों के अनुसार, अवैध कॉलोनियों की शिकायतों पर जांच और कार्रवाई न करने वाले कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त जैसे प्राधिकृत अधिकारियों को तीन साल की सजा और 10 हजार रुपए का जुर्माना भुगतना होगा।
नए नियमों के तहत, यदि कोई अधिकारी अवैध कॉलोनियों की रोकथाम के लिए कार्रवाई नहीं करता, तो उसे दोषी माना जाएगा। साथ ही पुलिस द्वारा अगर जानबूझकर सहयोग नहीं दिया जाता, तो पुलिस अधिकारियों पर भी यही सजा और जुर्माना लागू हो सकता है।
अवैध कॉलोनियों पर कड़े प्रावधान
प्रस्तावित ड्राफ्ट में अवैध कॉलोनियों के दोषियों पर सजा और जुर्माने को भी बढ़ाया गया है। अभी तक अवैध कॉलोनियों को बनाने वालों को न्यूनतम 3 साल की सजा और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना होता था। नए नियमों के तहत, अब न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम 10 साल होगी, जबकि जुर्माने की सीमा 50 लाख रुपए तक बढ़ा दी गई है।
अवैध कॉलोनियों की स्थिति
मध्य प्रदेश में अब तक 7,981 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की जा चुकी हैं, जिनमें से 3,155 नगर निगमों और 4,826 नगरपालिका और नगर परिषदों के अधीन हैं। इन कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वालों को भवन अनुज्ञा और पानी का कनेक्शन नहीं मिलता, साथ ही नगरीय निकायों द्वारा कोई विकास कार्य भी नहीं किया जाता। इसका असर न केवल नागरिकों की सुविधाओं पर पड़ता है, बल्कि अनियोजित विकास के कारण जलनिकास और पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव होता है। इसके अलावा, राज्य सरकार को राजस्व हानि होती है और भविष्य में ये कॉलोनियां निकायों के लिए वित्तीय बोझ बन जाती हैं।
अब, इन अवैध कॉलोनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए सरकार ने कमर कस ली है और जल्द ही कैबिनेट में इन प्रस्तावों पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।