मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रयोगशाला माना जाता रहा है। हाल ही में, मध्य प्रदेश की नई सरकार के गठन के बाद, संघ के सुझाव पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाकर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो संघ के नजदीकी माने जाते हैं।
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच समन्वय की नई व्यवस्था की जा रही है। अब प्रदेश सरकार के सभी मंत्री सीधे संघ के मध्य क्षेत्र कार्यालय “समिधा” के संपर्क में रहेंगे। यानी संघ के किसी विभाग के कामकाज या किसी सरकारी प्रोजेक्ट पर राय-मशवरा करने के लिए संघ के वरिष्ठ प्रचारक सीधे संबंधित मंत्री से बातचीत करेंगे।
यह नई व्यवस्था पिछली सरकार में नहीं थी। अब संघ ने नाराज मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी को समझने के लिए यह कदम उठाया है और उनके कामकाज पर नजर रखने का भी निर्णय लिया है। जो लोग बेवजह सरकार पर या मुख्यमंत्री कार्यालय में दबाव डालते हैं, उन पर संघ की नजर होगी।
यशवंत इंद्रापुरकर ग्वालियर से आते हैं और ग्वालियर के पूर्व मेयर इंद्रापुरकर जी के बेटे हैं। उनका परिवार पूरी तरह से संघ और संगठन के प्रति समर्पित रहा है। यशवंत इंद्रापुरकर ग्वालियर एग्रीकल्चर कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में काम कर चुके हैं और हाल ही में संघ ने उन्हें मध्य क्षेत्र का प्रांत चालक भी बनाया था। अब वे सीधे तौर पर सरकार, संगठन, और संघ के बीच समन्वय का काम देखेंगे। यह पद बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो पहले प्रदेश के संगठन महामंत्री के तहत आता था। संघ की इस नई व्यवस्था को महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम के रूप में देखा जा रहा है।
इससे पहले सारे काम मुख्यमंत्री कार्यालय से होते थे, लेकिन इसमें देरी और अड़चनें आ रही थीं। अब संघ के वरिष्ठ प्रचारक यशवंत इंद्रापुरकर मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ समन्वय करेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय में इसके लिए तीन लोगों की एक टीम काम करेगी।
हालांकि, हाल के दिनों में देखा गया है कि मोहन यादव प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। यह बात उन लोगों तक भी पहुंची है जो अब दिल्ली में सक्रिय हैं और प्रदेश की राजनीति में भी गहरी नजर रखते हैं। इन परिस्थितियों के बीच, मध्य प्रदेश में नागर सिंह चौहान का प्रकरण सामने आया, जिसमें उन्होंने सरकार को चुनौती दी। उनकी पत्नी को टिकट मिलने के बाद नागर सिंह चौहान का मंत्रिमंडल से हटना तय था, क्योंकि पार्टी पर परिवारवाद के आरोप लग रहे थे।
पर्यावरण विभाग छिनने के बाद, नागर सिंह चौहान ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को चुनौती दी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी भी की। उनकी नाराजगी को भुनाने के लिए कुछ लोग राजनीति शुरू करने ही वाले थे, लेकिन संघ को इसकी भनक लग गई। संघ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस मामले को लेकर एक नई व्यवस्था बना दी।
संघ ने निर्णय लिया कि अब संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी मंत्रियों से सीधे संपर्क करेंगे और राष्ट्रीय विचारधारा के अनुरूप निर्णय लेने और काम करने की सुविधा प्रदान करेंगे। संघ की ओर से मध्य क्षेत्र कार्यवाह यशवंत इंद्रापुरकर को अब मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधे समन्वय का काम सौंपा गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय में इसके लिए तीन लोगों की एक टीम भी गठित की गई है।
कौन हैं यशवंत इंदापुरकर
जैसा कि हमने ऊपर उल्लेख किया है कि यशवंत इंदापुरकर संघ और जनसंघ बैकग्राउंड वाले पुराने परिवार से ताल्लुकात रखते हैं । आपके पिता स्व माधवशंकर इंदापुरकार अपने शुरुआती जीवन से संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक रहे,वे जनसंघ से विधायक भी चुने गए थे साथ ही नगरनिगम में महापौर सहित भाजपा में कई संगठनात्मक पदों के साथ जीडीए अध्यक्ष के दौरान उनके सहज सरल कार्य व्यवहार और श्रेष्ठ कार्यों को आज भी याद किया जाता है। आपातकाल के दौरान स्व इंदापुरकर ने 19 माह तक जेल में रहकर तमाम यातनाओं को सहा था।
अपनी पारवारिक पृष्ठभूमि के मुताबिक यशवंत इंदापुरकर बाल्य काल से संघ के स्वयंसेवक रहे हैं,प्रारंभिक शिक्षा के समय से ही लेखन में रुचि रखने वाले श्री इंदापुरकर पत्रकारिता में भी सक्रिय रहने के साथ स्वदेश के प्रबंधन से जुड़े रहे तथा कृषि विभाग में भी कार्यरत रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अनेक दायित्वों का निर्वहन किया है अभी हाल ही में मुरैना में आयोजित संघ की अखिल भारतीय बैठक में क्षेत्र कार्यकारणी सदस्य की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है इससे पूर्व वे मध्यभारत प्रांत कार्यवाह थे।
जैसा कि हमने ऊपर उल्लेख किया है कि यशवंत इंदापुरकर संघ और जनसंघ बैकग्राउंड वाले पुराने परिवार से ताल्लुकात रखते हैं । आपके पिता स्व माधवशंकर इंदापुरकार अपने शुरुआती जीवन से संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक रहे,वे जनसंघ से विधायक भी चुने गए थे साथ ही नगरनिगम में महापौर सहित भाजपा में कई संगठनात्मक पदों के साथ जीडीए अध्यक्ष के दौरान उनके सहज सरल कार्य व्यवहार और श्रेष्ठ कार्यों को आज भी याद किया जाता है। आपातकाल के दौरान स्व इंदापुरकर ने 19 माह तक जेल में रहकर तमाम यातनाओं को सहा था।
अपनी पारवारिक पृष्ठभूमि के मुताबिक यशवंत इंदापुरकर बाल्य काल से संघ के स्वयंसेवक रहे हैं,प्रारंभिक शिक्षा के समय से ही लेखन में रुचि रखने वाले श्री इंदापुरकर पत्रकारिता में भी सक्रिय रहने के साथ स्वदेश के प्रबंधन से जुड़े रहे तथा कृषि विभाग में भी कार्यरत रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अनेक दायित्वों का निर्वहन किया है अभी हाल ही में मुरैना में आयोजित संघ की अखिल भारतीय बैठक में क्षेत्र कार्यकारणी सदस्य की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है इससे पूर्व वे मध्यभारत प्रांत कार्यवाह थे।