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Tuesday, November 12, 2024

अब एमपी के इस गांव में होगी कैबिनेट, रानी दुर्गावती की जयंती पर बड़े फैसले संभव

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दमोह: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार 5 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। राज्य की अगली कैबिनेट बैठक पहली बार दमोह जिले के सिंग्रामपुर में आयोजित होगी। इस विशेष बैठक का आयोजन उस दिन किया जा रहा है, जिस दिन गोंड शासिका रानी दुर्गावती की जयंती मनाई जाती है। सिंग्रामपुर, रानी दुर्गावती से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां उनकी वीरता और शौर्य की अमर कहानियां आज भी जीवित हैं।

कैबिनेट बैठक की प्रमुख बातें

यह बैठक ऐतिहासिक होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भी मानी जा रही है, क्योंकि इसके दौरान आदिवासी विकास और राज्य के समग्र विकास से जुड़े बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सभी कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही, लाड़ली बहनों को उनकी मासिक किस्त भी इसी दिन जारी की जाएगी, जो राज्य सरकार की एक प्रमुख जनकल्याणकारी योजना है।

पिछले साल रानी दुर्गावती की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में शामिल हुए थे, और अब इस बार मोहन सरकार इस अवसर को और भी भव्य रूप से मनाने की तैयारी कर रही है।

रानी दुर्गावती की जयंती पर विशेष आयोजन

5 अक्टूबर को होने वाली इस कैबिनेट बैठक के साथ-साथ सिंग्रामपुर में एक मंचीय कार्यक्रम भी प्रस्तावित है, जिसमें रानी दुर्गावती के शौर्य और साहस की कहानियों को जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। यह आयोजन दमोह में हो रहा है, जो रानी दुर्गावती के ऐतिहासिक किले सिंगौरगढ़ से जुड़ा है। यह किला आज भी उनकी वीरता की गाथाओं को संजोए हुए है और दमोह-जबलपुर हाईवे से सिंग्रामपुर गांव में स्थित है।

रानी दुर्गावती: साहस और वीरता का प्रतीक

रानी दुर्गावती का जन्म 1524 में उत्तर प्रदेश के कालिंजर किले में हुआ था। उनका नाम दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण दुर्गावती रखा गया। वे कालिंजर के राजा कीर्ति सिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। रानी दुर्गावती का जीवन साहस और वीरता का प्रतीक रहा है, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष किया। उनके वीरतापूर्ण संघर्ष की कहानियां आज भी जनमानस में जीवित हैं।

सिंग्रामपुर स्थित सिंगौरगढ़ का किला रानी दुर्गावती की वीरता का जीता-जागता प्रमाण है। दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के आंजनी गांव में आज भी रानी की 7वीं पीढ़ी के वंशज रहते हैं। इंदुर शाह, जो खुद को रानी की 7वीं पीढ़ी का वंशज बताते हैं, कहते हैं कि उनके पूर्वजों ने कभी झुकना नहीं सीखा, चाहे उन्हें अपनी रियासत ही क्यों न खोनी पड़ी हो। गोंडवाना साम्राज्य आज भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।

कैबिनेट बैठक से विकास की नई दिशा

माना जा रहा है कि इस विशेष कैबिनेट बैठक में राज्य के आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे। इसके साथ ही, रानी दुर्गावती की जयंती के अवसर पर राज्य की संस्कृति और इतिहास को सम्मानित करने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं और नीतियों पर भी चर्चा हो सकती है।

दमोह के सिंग्रामपुर में होने वाली यह कैबिनेट बैठक मध्यप्रदेश के लिए ऐतिहासिक अवसर है, जहां रानी दुर्गावती की जयंती को समर्पित करते हुए विकास और आदिवासी कल्याण के बड़े फैसले लिए जाने की उम्मीद है। मोहन सरकार का यह कदम न केवल राज्य के लिए नई दिशा देगा, बल्कि राज्य की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास को संजोए रखने का प्रयास भी करेगा।

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