देश। भारत में अब लोग की सोच में परिवर्तन होने लगा है गांव के लोग भी अपने बच्चो को पढ़ने के लिए भेजने लगे है। बच्चे स्कूल या तो पैदल जाते है या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से। हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) द्वारा की स्कूली शिक्षा को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है, जिसके अनुसार देश में 59.7 प्रतिशत छात्र स्कूल पैदल जाते हैं। ये आंकड़ा ग्रामीण इलाकों में पढ़ने वाले छात्रों से अधिक है। पैदल स्कूल जाने वाली लड़कियों का प्रतिशत औसतन 62 प्रतिशत से अधिक है, जबकि लड़कों के लिए यह 59.7 प्रतिशत है।
अगर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के डेटा को अलग- अलग देखा जाए तो एक जैसी ही प्रवृति देखी जाती है। जहां ग्रामीण इलाको (rural area) में 61.4 प्रतिशत लड़के पैदल स्कूल जाते हैं, वहीं लड़कियों का प्रतिशत 66.5 प्रतिशत है और शहरी इलाकों मे क्रमश 57.9 और 62 प्रतिशत है।
सार्वजनिक परिवहन दूसरी पसंद
स्कूल जाने के लिए दूसरा सबसे पसंदीदा तरीका पब्लिक ट्रांसपोर्ट है। देश के 12.4 प्रतिशत छात्र इसका उपयोग करते हैं। ग्रामीण इलाकों में 11.3 प्रतिशत छात्र स्कूल जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में 15.3 प्रतिशत हैं।
एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में भाग लेने के लिए छात्रों ने परिवहन में रियायती किराये की सुविधा का नियमित रूप से कैसे लाभ उठाया है? इस बात पर रिपोर्ट में बताया गया है कि रियायत किराये पाने वाले 48.3 प्रतिशत छात्रों ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग किया है। ग्रामीण इलाकों के 51.3 फीसदी और शहरी इलाकों के 42.7 फीसदी बच्चों ने इस व्यवस्था का लाभ उठाया है।
घर से स्कूलों की दूरी का भी अध्ययन
इस रिपोर्ट में छात्रों के घरों और स्कूलों के बीच की दूरी का भी अध्ययन किया गया है और पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 92.7 प्रतिशत परिवारों ने घर से 1 किलोमीटर के अंदर प्राथमिक स्कूल के उपलब्ध होने की जानकारी दी है। यह संख्या शहरी क्षेत्रों में 82.7 प्रतिशत है।
ग्रामीण परिवारों के लगभग 68 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के 80 प्रतिशत घरों ने 1 किलोमीटर के अंदर उच्च प्राथमिक स्कूल होने की जानकारी दी है जबकि 70 प्रतिशत शहरी परिवारों की तुलना में केवल 38 प्रतिशत ग्रमीण परिवारों ने इसी दूरी के अंदर माध्यमिक स्कूलों की जानकारी दी है।