उज्जैन। प्रयागराज महाकुंभ का शुभारंभ 13 जनवरी को बुधादित्य योग के महासंयोग में होगा। यह महाकुंभ करीब डेढ़ माह तक चलेगा, जिसमें छह प्रमुख स्नान होंगे। विशिष्ट योग और नक्षत्र के इस अवसर पर होने वाले कुंभ स्नान को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, विष्णु पुराण में समुद्र मंथन के दौरान अमृत पान के लिए हुए देव-दानव युद्ध के समय जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं, वहां कुंभ, अर्ध कुंभ, दीर्घ कुंभ, महाकुंभ और सिंहस्थ के आयोजन होते हैं।
कब होंगे प्रमुख स्नान
13 जनवरी को महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है, और इस बार के महाकुंभ में प्रमुख स्नान निम्नलिखित तिथियों पर होंगे।
– 13 जनवरी पौष पूर्णिमा
– 14 जनवरी मकर संक्रांति
– 29 जनवरी मौनी अमावस्या
– 3 फरवरी वसंत पंचमी
– 12 फरवरी माघी पूर्णिमा
– 26 फरवरी प्रमुख स्नान
महायोग में सफल होंगे मनोरथ
महाकुंभ के शुभारंभ के समय सूर्य और बुध का युति संबंध होगा, जिससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा। यह योग कर्मफल का साक्षी होता है और इस दौरान किए गए तीर्थ स्नान, कल्पवास, सत्संग, तीर्थ यात्रा और धर्म अनुष्ठान के प्रभाव से पूरी सफलता मिलती है। इस योग में किए गए धार्मिक कार्यों से इच्छाएं पूरी होती हैं और धर्म की सेवा करने वाले लोग प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य और पद प्राप्त करते हैं।
मकर संक्रांति जन्मकालिक दोष का नाश
महाकुंभ का दूसरा प्रमुख स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा। इस दिन तीर्थ स्नान और दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। सूर्य के उत्तरायण होने का महापर्व जीवन को कृतार्थ करने वाला माना जाता है। इस योग में गंगा स्नान से जन्मकालिक दोष भी समाप्त हो जाते हैं।