महाशिवरात्रि पर जरूर करें MP के इस शिवमंदिर के दर्शन, मिलेंगे ये बड़े लाभ

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इंदौर। महाशिवरात्रि के इस बुधवार लोग भक्ति में रंगने वाले हैं। आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां के प्रसाद से भक्तों की सूनी गोद भर जाती है।

हम बात कर रहे हैं रतलाम जिले के बिलपांक गांव में स्थित विरुपाक्ष महादेव मंदिर की, जो न केवल अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां मिलने वाले खीर प्रसाद को लेकर भी भक्तों में गहरी आस्था है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के बाद मंदिर में वितरित होने वाली यह विशेष खीर संतान सुख की प्राप्ति में सहायक होती है। इसीलिए हर साल लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर पहुंचते हैं।

महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का सैलाब

हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भव्य आयोजन होता है। सुबह से ही भक्त भोलेनाथ के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े होते हैं। मंदिर में विशेष हवन और यज्ञ का आयोजन किया जाता है, और इस यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ चमत्कारी खीर प्रसाद तैयार किया जाता है।

खीर प्रसाद का चमत्कारी प्रभाव

मंदिर की परंपरा के अनुसार, महाशिवरात्रि के अगले दिन विशेष खीर प्रसाद भक्तों में बांटी जाती है। मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान सुख में कोई रुकावट आ रही हो, यदि वे इस खीर को पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ ग्रहण करती हैं, तो उनकी सूनी गोद भर जाती है। इस खीर को पाने के लिए श्रद्धालु महाशिवरात्रि से पहले ही मंदिर पहुंचना शुरू कर देते हैं। विशेष रूप से महिलाएं बड़ी संख्या में यहां आती हैं, ताकि वे इस प्रसाद को लेकर अपनी मनोकामना पूरी कर सकें।

संतान होने पर खीर का चढ़ाना

यहां एक और खास परंपरा है, जिसके अनुसार जो महिलाएं इस प्रसाद के प्रभाव से संतान प्राप्त करती हैं, वे अपने बच्चे के वजन के बराबर खीर मंदिर में चढ़ाती हैं। फिर इस खीर को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जाता है।

विरुपाक्ष महादेव मंदिर और खंभों का रहस्य

यह मंदिर अपनी मान्यताओं के साथ-साथ अपनी अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमयी खंभों के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर में कुल 64 खंभे हैं, जिनकी गिनती कोई भी एक बार में सही नहीं कर सकता। लोग कई बार कोशिश करते हैं, लेकिन हर बार उनकी गिनती में फर्क आ जाता है। यह भूल-भुलैया जैसी संरचना प्राचीन भारतीय वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है।

विरुपाक्ष महादेव मंदिर का इतिहास और मान्यता

यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना माना जाता है और इसकी निर्माण शैली बेहद विशिष्ट है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर त्रेतायुग का है और यहां भगवान राम और लक्ष्मण ने भी भगवान शिव की पूजा की थी।

मंदिर का नाम क्यों पड़ा विरुपाक्ष महादेव मंदिर

कहा जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना ऋषि विरुपाक्ष ने की थी, जिसके कारण इसे विरुपाक्ष महादेव मंदिर कहा जाता है।

आस्था और विज्ञान की जंग

इस मंदिर में मिलने वाली खीर प्रसाद और उसकी चमत्कारी मान्यताओं को लेकर लोगों के बीच विभिन्न मत हैं। कुछ लोग इसे भगवान शिव की कृपा मानते हैं, जिससे संतान सुख की प्राप्ति होती है। वहीं, कुछ वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले लोग इसे संयोग मानते हैं, लेकिन वे भी इस रहस्य को पूरी तरह से नकार नहीं पाते।

चाहे यह चमत्कारी हो या आस्था का मामला, एक बात तो सच है कि इस मंदिर में आने वाले हजारों श्रद्धालु हर साल अपनी मुरादें लेकर आते हैं और उन्हें शिव कृपा से पूरा होने की आशा रहती है।

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