शाजापुर। शाजापुर जिले के मदाना गांव में एक किसान का अपने बैल से इतना स्नेह था, कि जब बैल की मौत हुई तो किसान ने मुंडन कराकर अंतिम संस्कार किया। उज्जैन में शिप्रा नदी में बैल का तर्पण किया उसके बाद अपने तेरहवीं के दिन भंडारा प्रसादी में 4 हजार से ज्यादा लोगों को भोज कराया। इस दौरान श्रद्धांजलि सभा और पगड़ी रस्म भी की गई।
किसान का 25 साल का साथी बैल चल बसा
शाजापुर के मदाना गांव में रहने वाले किसान जगदीश सिसोदिया के पास राम और श्याम नाम के दो बैल थे। जगदीश अपने बैलों को बेटों की तरह प्रेम करते थे। राम और श्याम 25 सालों से जगदीश की खेती में मदद करते थे। इस जोड़ी के बैल राम की तीन साल पहले ही मौत हो गई थी और 15 दिन पहले श्याम की भी मौत हो गई। जगदीश ने अपने बैल का क्रियाकर्म का फैसला किया। श्याम का विधिविधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 11 वें दिन उज्जैन जाकर तर्पण किया।
बैल की तरहवीं पर प्रसादी में चार हज़ार लोगों को भोज कराया
मंगलवार को जगदीश ने श्याम की तेरहवीं के दिन भंडारा प्रसादी के लिए नगर भोज दिया। तरहवीं पर श्रद्धांजलि सभा के साथ ही पगड़ी की रस्म की गई, नगर भोज के लिए 2 क्विंटल शक्कर, 1 क्विंटल बेसन, 8 क्विंटल आटा, 400 लीटर छाछ और 20 पीपा तेल का उपयोग हुआ। खाने में पूड़ी, कढ़ी, नुक्ती और सेव बनाए गए। जगदीश का एक बेटा और पांच बेटियां हैं। बच्चे अभी छोटे ही हैं, उनके पास करीब-करीब दस बीघा जमीन है और इसी जमीन को सोना बनाने में राम-श्याम मदद करते थे। करीब 11 साल की उम्र से खेती कर रहे थे, तब से राम-श्याम उनके साथ थे।