जगदलपुर। तीन अक्टूबर की रात, अमावस्या की काली रात में, नारायणपुर और दंतेवाड़ा के पुलिस मुख्यालय में हलचल तेज हो गई। अबूझमाड़ में नक्सलियों की बड़ी संख्या की सूचना मिलने पर एक व्यापक अभियान शुरू किया गया।
पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी., दंतेवाड़ा एसपी गौरव कुमार, और नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार ने मिलकर जो रणनीति बनाई थी, उसे लागू करने के लिए एक हजार से अधिक जवानों को आधुनिक हथियारों के साथ नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों से पैदल अबूझमाड़ के जंगलों में उतारा गया।
25 किमी की चुनौती
जवानों ने नदी-नालों, पथरीली और फिसलन भरी पगडंडियों, कंटीली झाड़ियों और बारूद बिछे रास्तों पर 25 किमी की दूरी तय की और नेंदूर तथा थुलथुली में नक्सलियों के ठिकानों तक पहुंचे। इस मुठभेड़ में 25 लाख रुपये के इनाम पर नक्सली नीति समेत 38 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया। अभियान के अंत में 31 शव मिले, और नक्सलियों ने पत्र जारी कर 38 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि की।
ऑपरेशन मानसून की सफलता
ऑपरेशन मानसून की यह बड़ी सफलता है, क्योंकि पिछले चार महीनों में 14 मुठभेड़ों में 81 नक्सलियों को मार गिराया गया है। इस अवधि में 100 से अधिक हथियार, जिनमें एसएलआर, एके-47, और कार्बाइन शामिल हैं, बरामद किए गए हैं। इसने नक्सल संगठन को एक बड़ा झटका दिया है। विशेष बात यह है कि इस अभियान में शीर्ष कैडर के नक्सलियों को लक्ष्य बनाया गया है। बस्तर में पिछले 40 वर्षों में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में यह मानसून के दौरान सबसे बड़ी सफलता है।
आधुनिक उपकरणों का उपयोग
थुलथुली की मुठभेड़ में दंतेवाड़ा पुलिस बल का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एस. राजनल्ला (आईपीएस) कर रहे थे। उन्होंने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई की रणनीति को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी जमीनी टीम की होती है। इस बार, अभियान रात में किया गया था, जिसमें नाइटविजन और आधुनिक उपकरणों से लैस जवानों ने बारिश से फिसलन और कीचड़ भरे रास्तों, जंगली कंटीली झाड़ियों, और नदी-नालों का सामना किया। मुख्यालय में बैठे अधिकारी सेटेलाइट फोन के जरिए निर्देश देते रहे। सटीक सूचना तंत्र, प्रशिक्षित पुलिस बल, और प्रभावी रणनीति के कारण यह अभियान सफल रहा।
इस वर्ष मानसून की शुरुआत में, 15 जून को अबूझमाड़ के कोड़तामेटा में हुए एक अभियान में नक्सलियों की तकनीकी टीम के आठ नक्सलियों को मार गिराया गया था। इस अभियान में 1300 से अधिक जवानों ने 35 किमी की दूरी तय की। नारायणपुर, कोंडागांव, और दंतेवाड़ा जिलों से एसटीएफ और डीआरजी की 40 टीमों ने भाग लिया।
नारायणपुर टीम का नेतृत्व करने वाले उपपुलिस अधीक्षक विनाय साहू ने बताया कि जवानों ने दो दिन की यात्रा के बाद नक्सली ठिकानों तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की। आधुनिक तकनीकी उपकरणों के कारण सुरक्षा बल पहले से अधिक सक्षम हो गए हैं, और रणनीतिक स्तर पर भी सुधार हुआ है। अब अभियान को राजपत्रित अधिकारियों द्वारा नेतृत्व किया जाता है, जिससे ऑन-फील्ड निर्णय लेना आसान हो गया है और सफलता की दर में वृद्धि हुई है।
आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि मुख्यालय के अधिकारियों से लेकर जमीन पर जवानों तक, सभी एकजुट होकर नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। नक्सली क्षेत्रों में सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों तक सड़क, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों का सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास बढ़ा है।