ग्वालियर। कोरोना के बढ़ते केस और फिर से लॉकडाउन की आशंका पर दिल्ली से एक बस में ठसाठस भरकर मजदूर और उनके परिवार MP के छतरपुर के लिए चले थे। ग्वालियर में झांसी हाईवे पर ओवरलोड तेज रफ्तार बस पलट गई। हादसे में बस के नीचे दबकर 2 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई है, जबकि 15 लोग घायल हैं। घटना मंगलवार यानी आज सुबह जौरासी घाटी के पास हुई है। हादसे की सूचना मिलते ही खुद पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे थे। फिलहाल मृतकों की पहचान नहीं हो सकी है। बस में सवार यात्रियों ने खिड़कियों से कूदकर अपनी जान बचाई है।
हाल ही में दिल्ली में भी लॉकडाउन की घोषणा की गई है। इसी लॉकडाउन की दहशत के चलते MP के छतरपुर के ऐसे मजदूर जो कुछ महीने से वहां मजदूरी कर रहे थे। उन्होंने पलायन शुरू कर दिया है। सोमवार रात 2 बजे बस नंबर UP93 CT-8593 करीब एक सैकड़ा के लगभग मजदूर और उनके परिवार के सदस्य बस में सवार होकर छतरपुर के लिए निकले थे।
बस के कांच फोड़कर बचाए कई यात्री…
सुबह 7 बजे बस ग्वालियर पहुंची। यहां 10 लोग उतर गए। इसके बाद बस छतरपुर के लिए रवाना हुई।बस अभी ग्वालियर के झांसी रोड इलाके से निकलकर जौरासी घाटी पर पहुंची थी। चालक बस को तेज रफ्तार में दौड़ा रहा था। अचानक बस बेकाबू हुई और पलट गई। हादसे के बाद वहां चीख पुकार मच गई। बस की छत पर बैठे मजदूर नीचे आकर गिर गए और बस के नीचे दब गए। घटना के बाद आसपास के गांव के लोग वहां पहुंच गए।
गांव के लोग बचाव में जुट गए और बस की खिड़कियों के कांच फोड़कर अंदर पहुंचे और वहां से बच्चों और महिलाओं को बाहर निकाला है। महिलाओं ने बस से कूदकर अपनी जान बचाई है। इस बीच पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस कप्तान अमित सांघी भी मौके पर पहुंच गए थे और घायल ज्यादा देखकर अन्य थानों का बल भी मौके पर बुलवा लिया। बस पलटने से उसके नीचे दबकर छतरपुर के दो मजदूरों की बस के नीचे दबने से मौत हो गई है।
घटना में घायलों को मौके पर ही उपचार कराया गया। कुछ को डबरा तो कुछ को ग्वालियर भेजा गया है। क्रेन की मदद से बस को हटवाकर उसके नीचे से शव निकाले गए हैं। मृतक बुरी तरह दबे हुए हैं। वह कौन थे यह अभी पहचान की जा रही है।
बस में क्षमता से दोगुनी सवारियां बैठी थी…
हादसे की मूल वजह लॉकडाउन से घबराकर मजदूरों का घर लौटना नहीं, बल्कि 52 सीटर बस का ओवरलोड होना था। बस में 52 लोगों को बैठाने की सीट थी, लेकिन ज्यादा कमाने के लालच में बस के स्टाफ ने एक सैकड़ा सवारी भर लीं। ऐसा भी पता लगा है, कि इन मजदूरों से दोगुना किराया भी लिया गया है। यदि RTO का अमला मंगलवार सुबह चैकिंग कर रहा होता, तो यह हादसा होता ही नहीं, लेकिन वह तो सिर्फ हादसे के बाद ही चैकिंग करने निकलते हैं।