ग्वालियर। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में हुए भीषण बस हादसे के बाद भी परिवहन विभाग की नींद नहीं खुल रही है। जिले भर में अभी भी सवारी बसें ओवरलोड चलाई जा रही है। परिवहन विभाग कार्यवाही का दम तो भर रहा है। लेकिन बस माफियाओं का रसूख इतना है ,कि वह परिवहन विभाग पर भारी पड़ रहा है और परिवहन विभाग की ओर से बसों पर की जाने वाली कार्रवाई के दावे के बाद भी धड़ल्ले से क्षमता से अधिक सवारियों को भर रहा है। जिससे कभी भी सीधी जिले जैसा भीषण हादसा सामने आ सकता है।
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में 16 फरवरी को ओवरलोड बस के कारण हुए भीषण हादसे को अभी तक लोग भुला नहीं पाए हैं। ऐसे में परिवहन विभाग को एक और बड़े हादसे का इंतजार है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सीधी बस हादसे में 50 जाने जाने के बाद भी परिवहन विभाग कोई सबक नहीं सीख रहा है। बल्कि ओवरलोड बसों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करता नजर आ रहा है। क्योंकि जिलेभर में सैकड़ों बसे क्षमता से ज्यादा सवारी भरकर परिवहन विभाग के नाक के नीचे चलाई जा रही है। लेकिन इन सब के लिए जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को यह सब दिखाई नहीं दे रहा है। ग्वालियर से मुरैना, डबरा, भिंड ,भितरवार,चीनोर, करैरा ,मोहना जैसे कई ग्रामीण इलाके है जहां बस की क्षमता से ज्यादा सवारियों को भरा जा रहा है। जिसके कारण कभी भी एक बड़ा हादसा हो सकता है।
सीधी बस हादसे के बाद परिवहन विभाग में ऐसी बसों पर कार्रवाई के लिए फ्लाइंग स्काउट बनाए थे जिन्हें इस तरह की ओवरलोड बसों पर कार्रवाई करनी थी लेकिन फौरी तौर पर कुछ एक कार्रवाई करने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया है और एक बार फिर से बस संचालक या कहें बस माफिया ठसाठस सवारियों को बसों को भरकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने में जुटे हुए हैं। इस तरह की व्यवस्था से यह साफ तौर पर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बस ऑपरेटर और परिवहन विभाग के बीच कितना गहरा गठजोड़ है।
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