जनवरी 2019 में भोपाल के डीपीएस स्कूल की बच्ची की मौत के मामले में दिल्ली एम्स की एनालिसिस रिपोर्ट से पहली बार बच्ची के बनाए स्कैच से शारीरिक शोषण होने की बात का खुलासा हुआ है। ये अपनी तरह का पहला मामला है। आखिर हुआ क्या था… बच्ची के पिता की जुबानी पूरी कहानी-
मेरी बेटी आठ साल की थी। वह डीपीएस में तीसरी क्लास में पढ़ती थी। 4 जनवरी 2019 की दोपहर वह स्कूल बस से लौट रही थी। अवधपुरी के पास बस से उतरकर वह मां के साथ स्कूटी पर बैठकर घर आ रही थी, तभी बेहोश होकर गिर गई। हम उसे तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन बचा नहीं सके। हमीदिया में उसका पोस्टमॉर्टम हुआ। मौत का कारण जहरीला पदार्थ खाना बताया गया। विश्वास नहीं हुआ कि उसने जहरीला पदार्थ खाया होगा।
मैंने पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री तक न्याय की गुहार लगाई। पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया। इसके बाद राष्ट्रीय बाल आयोग में शिकायत की। आयोग ने पुलिस से कई बिंदुओं पर जांच करने को कहा, लेकिन पुलिस ने दो साल बाद भी रिपोर्ट नहीं दी। तभी बेटी की बनाई एक स्कैच पेंटिंग मिली। ये कुछ अजीब सी लग रही थी। मैंने इसे बाल आयोग को सौंप दिया। आयोग ने इसे गंभीरता से लिया और दिल्ली AIIMS से स्केच का एनालिसिस कराया तो बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि मेरी बच्ची का शारीरिक शोषण हुआ है। मैंने अब हाईकोर्ट में याचिका लगाकर पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
स्केच में एक छोटी बच्ची एक कमरे में पलंग पर लेटी हुई है और एक परी आसमान में उड़ रही है। कमरे की खिड़की से दो हाथ अंदर आ रहे हैं और कमरे में पानी की बॉटल रखी हुई है। इस बॉटल में यह हाथ कुछ मिला रहे हैं। इसके लिए पेंटिंग में ड्रॉप-ड्रॉप नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि हमने स्केच को जांच के लिए दिल्ली AIIMS भेजा था। जहां स्पष्ट हुआ कि बच्ची के साथ यौन शोषण जैसी वारदात हुई है। मामले में पुलिस की कई तरह की लापरवाही उजागर हुई है।
जिसके खिलाफ शिकायत थी, उसे ही जांच अधिकारी बना दिया। दो साल बाद भी पुलिस ने रिपोर्ट आयोग को नहीं दी। पीएम में जहर की पुष्टि हुई है तो पुलिस ने उसे जैविक जहर का नाम दिया। पुलिस ने घर की जांच तो कर ली, लेकिन स्कूल के सीसीटीवी फुटेज और पेट में मिले जहर की जांच रिपोर्ट नहीं भेजी| जांच के बिंदु क्या रहे, अभी तक पुलिस नहीं बता पाई है।
दिल्ली एम्स के एनालिसिस को जांच में अभी तक शामिल नहीं किया गया। बच्ची के पिता ने बताया कि उन्होंने RTI से पुलिस से पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी मांगी तो खाली सीडी दे दी। दूसरी बार फिर वीडियो मांगा तो पेनड्राइव में वीडियो तो दिया, लेकिन वह आधा था, सिर्फ पोस्टमार्टम के गेट तक ले जाने का था। SIT भी गठित हुई। मामला फिलहाल हाईकोर्ट में है।