भोपाल। एमपी में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव फिलहाल नहीं होंगे। इन्हें विधानसभा चुनाव-2023 के बाद ही कराया जाएगा। ये बात लगभग तय हो गई है। यानी गांव-शहर की सरकार के लिए अभी इंतजार करना होगा। ये चुनाव रिजर्वेशन, रोटेशन और परिसीमन की राजनीति में फंस गए हैं। ओबीसी रिजर्वेशन का सरकार का दांव पहले ही सुप्रीम कोर्ट में उल्टा पड़ चुका है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अभी पंचायत-निकाय चुनाव में लंबा वक्त लग सकता है।
आपको बात दे कि तीन साल से अटके पड़े पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने से सरकार हिचक रही है। पंचायतों में दो साल कार्यकाल बढ़ाकर सरपंचों काे एडजस्ट किया गया। पॉलिटिकल स्ट्रेटजी के चलते निकाय आरक्षण कोर्ट में पहुंच गया, तो पंचायत चुनाव में रोटेशन-परिसीमन के साथ ओबीसी आरक्षण में भी कानूनी पेंच फंस गया।जानकारी मिली है कि अब इन दांव-पेंच से बाहर आने के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू होने में एक से डेढ़ साल का वक्त लगेगा। ऐसे में दोनों चुनाव कोर्ट के फैसले के बाद ही होंगे। हालांकि सरकार भी यही चाहती है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले स्थानीय निकायों के चुनाव न हों।
राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक भले ही चुनाव प्रक्रिया पर काम जारी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन होने में वक्त लगेगा। सरकार 27% सीटें ओबीसी के लिए रिजर्व करना चाहती है। ऐसे में आरक्षण की तय सीमा 50% से ज्यादा के लिए सरकार को कोर्ट में आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे। इसके मद्देनजर सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के माध्यम से ओबीसी मतदाताओं की गिनती कराने का काम शुरू किया है लेकिन शासन स्तर पर इस प्रक्रिया में तेजी नहीं दिख रही है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसर ने बताया कि सरकार चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस लेकर चुनाव प्रक्रिया शुरू करा सकती है, क्योंकि कोर्ट का फैसला आने में वक्त लगेगा। इसके बाद आरक्षण व अन्य प्रक्रियाओं में ही सालभर का वक्त लगेगा। कमोबेश पंचायत चुनाव काे लेकर भी लगभग स्थिति यही है। इससे साफ है कि दोनों चुनाव फिलहाल नहीं होंगे।
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