भोपाल। मध्य प्रदेश में पंचायत सचिवों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कई महीनों से वेतन का भुगतान नहीं होने के कारण सचिवों में आक्रोश बढ़ गया है। पंचायत सचिवों ने 26 मार्च से 1 अप्रैल तक सात दिनों के लिए हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। यह हड़ताल राज्यभर में पंचायत से जुड़ी विभिन्न योजनाओं पर गंभीर असर डाल सकती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाजी प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है।
वेतन को लेकर बढ़ी सचिवों में नाराजगी
राज्य के पंचायत सचिवों का कहना है कि वे पिछले तीन से चार महीनों से वेतन का भुगतान नहीं पा रहे हैं। यह स्थिति कई पंचायत सचिवों के लिए वित्तीय संकट का कारण बन गई है। वे यह भी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार द्वारा बार-बार आश्वासन देने के बावजूद उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। सचिवों का कहना है कि यदि उनकी मांगों का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।
7 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल
पंचायत सचिवों के संगठन ने अपनी मांगों का एक सात सूत्रीय ज्ञापन तैयार किया है, जिसे वे जिला मुख्यालयों में कलेक्टर को सौंपेंगे। यह ज्ञापन पंचायत सचिवों की मुख्य मांगों को उजागर करेगा।
जिनमें प्रमुख हैं-
पंचायत सचिवों का प्रमुख मांग है कि उनका वेतन हर माह की 1 तारीख को निश्चित रूप से दिया जाए।
पिछले तीन से चार महीनों का लंबित वेतन तुरंत जारी किया जाए।
पंचायत सचिवों को सरकारी कर्मचारियों के समान सुविधाएं और लाभ मिलने चाहिए, जो वर्तमान में उन्हें नहीं मिल रहे हैं। इसमें प्रमोशन, बीमा, पेंशन जैसे लाभ शामिल हैं।
मुख्यमंत्री की ओर से की गई घोषणा के बावजूद पंचायत सचिवों को समयमान वेतनमान नहीं दिया गया है। सचिवों का कहना है कि इस वादे को जल्द पूरा किया जाए।
पंचायत सचिवों कि हड़ताल का प्रभाव
अगर पंचायत सचिवों की मांगों को नहीं माना जाता है, तो हड़ताल का सीधा असर पंचायत स्तर पर चल रही योजनाओं पर पड़ेगा। विशेषकर, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में देरी हो सकती है और पंचायत सचिवों का काम प्रभावित हो सकता है। इससे न केवल प्रशासनिक कार्यों में रुकावट आएगी, बल्कि ग्रामीण जनता भी इससे प्रभावित हो सकती है। वहीं, पंचायत सचिवों के संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी 7 सूत्रीय मांगों का समाधान शीघ्र नहीं किया गया, तो वे आगे चलकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हो सकते हैं। पंचायत सचिवों का यह आंदोलन राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है, खासकर ऐसे समय में जब पंचायत स्तर पर कई योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है। इस विरोध और हड़ताल के मद्देनज़र प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिला मुख्यालयों पर पंचायत सचिवों का विरोध प्रदर्शन पहले ही शुरू हो चुका है और कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपने का सिलसिला जारी है। प्रशासन का कहना है कि वे इस मुद्दे को हल करने के लिए पंचायत सचिवों से बातचीत करने के लिए तैयार हैं, ताकि हड़ताल का दायरा बढ़ने से पहले समाधान निकाला जा सके।