ग्वालियर। संत रविदास जयंती के अवसर पर पंडितों पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान के बाद देश भर में पंडित और ब्राह्मणों का आक्रोश चरम पर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सफाई देने के बाद भी यह नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही है। ग्वालियर में हिन्दू महासभा द्वारा बयान वापस लेने की चेतावनी के बाद अब अधिवक्ताओं ने भी मोहन भागवत पर एफआईआर दर्ज करवाने इंदरगंज थाना में आवेदन दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि पुलिस मामला दर्ज नहीं करती है तो वह कोर्ट का रास्ता अपनाएंगे।
बता दें कि बुधवार को ग्वालियर के इंदरगंज थाने में आरएएस प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ शिकायती आवेदन देने पहुँचे ब्राह्मण समाज के अधिवक्ताओं की मांग है कि मोहन भागवत ने जाति विशेष को भड़काने वाला बयान दिया है जिससे देश में वैमस्यता फैल सकती है, इतने बड़े पद पर होने के बावजूद जाति विशेष के प्रति इस तरह का बयान उनकी मानसिकता को दर्शाता है। थाने में मोहन भागवत के खिलाफ मामला दर्ज कराने की मांग लेकर पहुंचे अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि पुलिस मामला दर्ज नहीं करती है तो हम कोर्ट में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
लगातार हिंदू संगठन व ब्राहम्ण समाज कर रही है प्रदर्शन
आरएसएस संघचालक मोहन भागवत के पंडितों पर दिए गए बयान के बाद दो दिन पहले ब्राह्मण समाज के विभिन्न संगठनों ने आनन फानन में एक बैठक आयोजित कर मोहन भागवत से दो दिन में बयान वापस लेने की मांग की थी।
बैठक के बाद नाराज समाज विशेष के लोगों ने मोहन भागवत मुर्दाबाद के नारे भी लगाए थे। इस बैठक में ग्वालियर जिले के सर्व ब्राह्मण महासंघ, ब्राह्मण महासभा, मप्र ब्राह्मण परिषद सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा था कि मोहन भागवत का बयान राजनीति से प्रेरित है। वर्ण व्यवस्था ब्रह्मा जी ने ही की थी और इसका उल्लेख श्रीमद भागवत गीता में मिलता है। इसलिए मोहन भागवत का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर तय समय सीमा में मोहन भागवत ने बयान वापस नहीं लिया गया तो ब्राह्मण समाज सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराएगा।
इंदरगंज थाने में मोहन भागवत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन लेकर पहुंचे अधिवक्ता पवन पाठक का कहना है कि जिस तरह से आरएसएस के संघसंचालक मोहन भागवत में ब्राह्मणों के प्रति बयान दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि मोहन भागवत इतने बड़े पद पर हैं। उन्हें इस तरह से ब्राह्मणों के लिए बयान नहीं देना चाहिए अगर उनके खिलाफ एफआईआर नहीं होगी तो वह न्यायालय जाने के लिए स्वतंत्र है।