भोपाल।पेट्रोल-डीजल पर 5% कमीशन बढ़ाने पर अड़े मध्यप्रदेश के पेट्रोल पंप डीलर्स जून से हड़ताल पर जा सकते हैं। वे हफ्ते में एक दिन पेट्रोल पंप बंद रखेंगे। यानी, एक दिन प्रदेश में कहीं भी पेट्रोल-डीजल नहीं बेचा जाएगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप एस. पुरी से भी डीलर्स मिलेंगे। एक दिन पहले प्रदेशभर के पंप 2 घंटे के लिए बंद रखे गए थे। प्रदेश में करीब 4900 पेट्रोल पंप है। इन्हें 25 मई की शाम 7 से 9 बजे के बीच बंद रखा गया था। विरोध का असर राजधानी भोपाल में भी दिखाई दिया था और कुल 152 पंप पर भी पेट्रोल-डीजल नहीं बेचा गया था। अब डीलर्स हफ्ते में एक दिन पंप बंद रखने का प्लान बना रहे हैं।
मध्यप्रदेश पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया, जून महीने में हफ्ते में एक दिन पेट्रोल-डीजल नहीं बेचने और जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की रणनीति बना रहे हैं। इससे पहले पेट्रोलियम मंत्री से मिलकर अपनी बात रखेंगे। 26 मई को एसोसिएशन के राष्ट्रीय पदाधिकारी पेट्रोलियम मंत्री से मुलाकात करेंगे। बातचीत का पॉजिटिव रिजल्ट मिलता है तो ठीक, वरना हड़ताल ही विकल्प रहेगा।एसोसिएशन के मुताबिक, साल 2017 को पेट्रोल-डीजल पर कमीशन तय किया गया था। पेट्रोल पर 3 रुपए 30 पैसे और डीजल पर 2 रुपए 12 पैसे दिए जा रहे हैं। यह कमीशन तब था, जब रेट वर्तमान से आधे थे। मांग है कि पेट्रोल-डीजल पर कमीशन 5% हो। इससे ईंधन के रेट घटे या बढ़े, कमीशन प्रतिशत वहीं रहेगा और डीलर्स को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। एडवांस जमा एक्साइज ड्यूटी की राशि रिफंड की जाए। वर्तमान में प्रत्येक डीलर को 12 से 15 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हड़ताल हुई तो सबसे ज्यादा आम लोगों की बढ़ेंगी मुश्किलें पेट्रोल पंप डीलर्स यदि हड़ताल करते हैं तो आम लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय है। उन्हें एक दिन ईंधन के लिए तरसना पड़ सकता है। राजधानी भोपाल में ही हर रोज साढ़े 9 लाख लीटर पेट्रोल और 12 लाख लीटर डीजल की खपत होती है। इंदौर, जबलपुर-ग्वालियर में भी लाखों लीटर पेट्रोल-डीजल बिकता है। केंद्र सरकार ने छह दिन पहले ही पेट्रोल-डीजल की एक्साइज ड्यूटी घटाई है। ऐसे में मध्यप्रदेश में पेट्रोल साढ़े 9 रुपए और डीजल 7 रुपए प्रति लीटर तक सस्ता हुआ है। ऐसे में लोगों को बड़ी राहत मिली है। दूसरी ओर पेट्रोल पंप डीलर्स ने कमीशन बढ़ाने की मांग रख दी है। यदि पेट्रोलियम कंपनियां यदि कमीशन बढ़ाती है तो उसका बोझ आम लोगों पर ही होगा, क्योंकि कंपनियां भी ईंधन के रेट बढ़ा सकती है। ऐसे में आम लोगों की जेब से ही ज्यादा राशि निकलेगी।