भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुराहो में देश की पहली महत्वाकांक्षी और बहुउद्देशीय केन-बेतवा राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास करेंगे। यह परियोजना मध्य प्रदेश के 10 जिलों में सिंचाई और पेयजल सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, पीएम मोदी ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे, जो ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल होगी। इस कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल भी मौजूद रहेंगे।
परियोजना में केंद्र की बड़ी हिस्सेदारी
केन-बेतवा परियोजना के लिए कुल 77,000 करोड़ रुपये की लागत में से 90% राशि केंद्र सरकार वहन करेगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारों को केवल 5-5% खर्च करना होगा। केंद्र द्वारा 70,000 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश व राजस्थान द्वारा 3,500-3,500 करोड़ रुपये का व्यय किया जाएगा।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को होगा लाभ
इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश के 59,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी। साथ ही लाखों लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
मध्य प्रदेश के लिए विशेष महत्व
-यह परियोजना श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, धार, उज्जैन, इंदौर, शाजापुर, और राजगढ़ जैसे जिलों में सिंचाई और पेयजल की समस्याओं को हल करेगी।
-परियोजना से 3217 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा।
-6.13 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी और 40 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।
-चंबल क्षेत्र की पुरानी नहर प्रणाली को आधुनिक बनाया जाएगा, जिससे भिंड, मुरैना, और श्योपुर जिलों में किसानों की मांग के अनुसार जल आपूर्ति हो सकेगी।
-परियोजना के अंतर्गत 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे, जिनकी कुल जल भंडारण क्षमता 1908.83 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी।
-172 मिलियन क्यूबिक मीटर जल पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए आरक्षित रहेगा।
अन्य प्रमुख घोषणाएं और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री कार्यक्रम के दौरान
-1153 ग्राम पंचायत भवनों का भूमि पूजन करेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक कामकाज को बेहतर बनाया जा सके।
-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर उनकी स्मृति में विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी किया जाएगा।
यह परियोजना न केवल मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट को दूर करेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास और हरित ऊर्जा उत्पादन में भी नई क्रांति लाएगी।