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Tuesday, November 12, 2024

लाखों की धोखाधड़ी में पुलिस की लापरवाही, अभी तक नहीं हुई किसी की गिरफ्तारी

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धार: जिले के श्रीराम सहकारी साख संस्था के अध्यक्ष देवेंद्र बाबूलाल जामनालाल पर लाखों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप के मामले में अब पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है। संस्था में मृत व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाखों की राशि गबन करने के मामले में अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। इससे पीड़ित परिवार के सदस्यों में गहरी नाराजगी है। वहीं, जांच के नाम पर फिर से थाना प्रभारी ने अफसर बदल दिए हैं। अब तक की जांच से संतुष्ट नहीं होने की बात कहकर फिर से नए सिरे से जांच के लिए कहा गया है। उधर, पीड़ित परिवार ने तीन साल पहले भी इस मामले में शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। घटना के बाद भी जब केस दर्ज हुआ, तो पुलिस की जांच प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

धार जिले के टवलाई गांव में स्थित श्रीराम सहकारी संस्था के खिलाफ पीड़ित पक्ष ने शिकायत की थी कि उनके पिता शिवप्रसाद के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संस्था से 16 लाख रुपए का लोन लिया गया। यह लोन 2012 में लिया गया था, जबकि उनके पिता का निधन 2011 में हो गया था। संस्था द्वारा इस लोन का समय पर भुगतान भी नहीं किया गया और फर्जीवाड़ा कर संपत्ति को हड़प लिया गया। पीड़ित पक्ष ने बताया कि उनके पिता के नाम से किए गए लोन का भुगतान उनकी माँ के निधन के बाद भी नहीं किया गया। जब उन्होंने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से शिकायत की, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई।

टीआई के बदले जाने के बावजूद जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। पीड़ित पक्ष ने बताया कि इस मामले की जांच शुरू होने के बाद से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ मामले को दबाने में लगे हुए हैं। पहले जांच अधिकारी ने ठीक से काम नहीं किया था, इसलिए उसे बदल दिया गया।

पीड़ित पक्ष ने कहा कि उन्होंने इस मामले की तीन साल पहले शिकायत की थी और पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी तब से मामले को नजरअंदाज करते आ रहे हैं। मामले की जांच अभी भी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। पीड़ित पक्ष ने न्यायालय में भी शिकायत दर्ज की है।

एसडीओपी बोले – प्रकरण की नए सिरे से जांच के लिए बदला अधिकारी

आरोपी देवेंद्र जामनालाल के कारनामों को लेकर धार जिले में चर्चा है। संस्था के प्रमुख अधिकारियों ने भी मामले को दबाने के लिए पुलिस अधिकारियों से साठगांठ की थी। जब जांच अधिकारी बदल दिया गया, तो फिर से जांच की बात कही गई है। अब नए अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है। एसडीओपी का कहना है कि मामले की जांच में पहले जांच अधिकारी ने सही से काम नहीं किया, इसलिए उसे बदला गया है। अब नए अधिकारी के नेतृत्व में जांच को सही दिशा दी जाएगी। इस मामले में पुलिस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि तीन साल पुरानी शिकायत पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

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