गुना से लापता हुई नाबालिग को पुलिस ने पाकिस्तान बॉर्डर से किया बरामद

गुना। जिले के फतेहगढ़ इलाके की रहने वाली नाबालिग दो महीने में दो बार लापता हो गयी। एक बार गायब होने पर पुलिस उसे पाकिस्तान बॉर्डर के पास से बरामद कर ले आई। इसके एक महीने बाद ही वह फिर से गायब हो गयी है। पहले अक्टूबर में गायब हुई और अब दिसंबर में वह बिना बताए घर से कहीं चली गयी है। सूत्रों की मानें तो पहली बार लापता होने के बाद मिलने पर उसके घरवालों ने उसकी शादी कर दी। वह अपनी ससुराल से ही गायब हुई है। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

 

 

जानकारी के अनुसार आपको बात दे फतेहगढ़ इलाके के कर्राखेड़ा के रहने वाले एक युवक ने 5 दिसंबर को कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनकी 17 वर्षीय भतीजी गुना शहर के कर्नलगंज में रहती है। बाकी परिवार गांव में रहता है। शाम 6 बजे के आसपास वह घर से बिना बताए कहीं चली गयी। उन्होंने आस-पड़ोस में तलाश किया, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका। पुलिस ने उनकी रिपोर्ट पर गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

 

कोतवाली इलाके से 16 अक्‍टूबर को एक 17 वर्ष की नाबालिग गायब हो गयी थी। उसके चाचा ने 17 अक्‍टूबर को कोतवाली में उसके गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर बच्ची की तलाश शुरू की। सीएसपी श्वेता गुप्ता के मार्गदर्शन में पुलिस टीम को लगाया गया। कोतवाली टीआई मदन मोहन मालवीय अपनी टीम के साथ किशोरी की तलाश में जुटे। पुलिस के तकनीकी संसाधनों की मदद लेकर जगह-जगह दबिश दी गई। बच्ची की तलाश के क्रम में उसके राजस्‍थान के पाकिस्‍तान बॉर्डर पर स्थित हनुमानगढ जिले में होने की जानकारी पुलिस को मिली। कोतवाली से पुलिस की एक टीम हनुमानगढ के लिये रवाना हुई। इस टीम द्वारा वहां बच्ची की तलाश की। गुरुवार को बच्ची हनुमानगढ जिला न्‍यायालय के पास पुलिस को मिल गयी। पुलिस टीम वहां से बच्ची को लेकर गुना पहुँची, जहां उसे परिवार वालों के सुपुर्द कर दिया था।

 

राजस्थान में बरामद होने के बाद लड़की ने पुलिस को दिए अपने बयानों में गायब होने की कहानी बताई। सीएसपी श्वेता गुप्ता ने बताया कि लड़की ने पुलिस को दिए बयानों में बताया कि घरवाले उसके लिए रिश्ता तलाश कर रहे थे। वह शादी नहीं करना चाहती थी, इसलिए नाराज होकर वह घर से भाग गयी। वह ट्रैन से जयपुर होते हुए हनुमानगढ़ पहुंची। लगभग 15 दिनों तक वह हनुमानगढ़ में रही। वहां उसने गुरुद्वारे में शरण ली। वहीं पर वह सो जाती थी। कुछ दिन भीख मांगकर भी उसने गुजारा किया।

 

 

 

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