भोपाल – मध्य प्रदेश में 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव नए परिसीमन और महिला आरक्षण के आधार पर होंगे। इसके लिए एक परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा, जो जनसुनवाई के बाद विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से निर्धारण करेगा। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत लोकसभा और विधानसभा की 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी।
परिसीमन की प्रक्रिया
प्रदेश में 2008 के विधानसभा और 2009 के लोकसभा चुनाव नए परिसीमन के आधार पर हुए थे। अब एक बार फिर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें जनसंख्या की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सीटों की संख्या और क्षेत्रों में बदलाव किया जाएगा। परिसीमन के बाद कुछ अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीटों की स्थिति भी बदल सकती है।
कांग्रेस और भाजपा की रणनीतियाँ
कांग्रेस ने परिसीमन और महिला आरक्षण के मुद्दे पर एक समिति गठित करने का निर्णय लिया है। इस समिति में अनुभवी नेताओं को शामिल किया जाएगा ताकि परिसीमन में कोई गड़बड़ी न हो। समिति पुराने परिसीमन की प्रक्रिया का अध्ययन करेगी और जिला एवं ब्लाक स्तर के पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करेगी।
वहीं भाजपा आयोग के गठन के बाद अपनी तैयारियों को अमल में लाएगी। पार्टी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि परिसीमन आयोग का गठन अभी नहीं हुआ है, और पार्टी अपनी तैयारी आयोग की स्थिति के अनुसार करेगी।
परिसीमन का असर
2008 के विधानसभा और 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान नए परिसीमन के आधार पर लोकसभा के 29 क्षेत्रों में चार अनुसूचित जाति और छह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटें थीं। नए परिसीमन के तहत मुरैना और सागर जैसे क्षेत्र, जो पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थे, अब सामान्य क्षेत्र बन चुके हैं। भिंड, टीकमगढ़ और देवास जैसे क्षेत्र नए परिसीमन में सुरक्षित श्रेणी में आ गए हैं, जबकि उज्जैन और बैतूल जैसे क्षेत्र पहले की तरह आरक्षित बने रहेंगे।
परिसीमन का कार्यप्रणाली
अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के जिले और निर्वाचन क्षेत्रवार आंकड़ों का अध्ययन किया जाएगा और आयोग के सामने प्रस्तुतीकरण भी दिया जाएगा। सार्वजनिक सुनवाई के दौरान पार्टी के स्थानीय नेता अपने पक्ष प्रस्तुत करेंगे। वर्तमान परिसीमन में कुछ क्षेत्र अंजजा आरक्षित श्रेणी में आ गए हैं। उदाहरण के लिए, दिमनी, सेवदा, खुई, खरगापुर, पथरिया और सुवासरा जैसे क्षेत्र सामान्य निर्वाचन क्षेत्र बन गए हैं। वहीं, देवसर क्षेत्र अनुसूचित जनजाति से अनुसूचित जाति के लिए और टिमरनी तथा पंधाना चुनाव क्षेत्र अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित श्रेणी में परिवर्तित हो गए हैं।
नई सीटें और समाप्त क्षेत्र
पिछले परिसीमन के दौरान कई नई विधानसभा सीटें बनी थीं, जैसे रोन (भिंड), किरनापुर (बालाघाट), नैनपुर (मंडला), बजाग (डिडोरी), मझौली (जबलपुर), घंसौर (सिवनी), दमुआ (छिंदवाड़ा) और मासीद (बैतूल)। कुछ पुराने विधानसभा क्षेत्र समाप्त हो गए थे। नए विधानसभा क्षेत्रों में बामौरी (गुना), पृथ्वीपुर (टीकमगढ़), राजनगर (छत्तरपुर), सेमरिया (रीवा), नरेला, हुजूर, भोपाल मध्य (तीनों भोपाल) और राऊ (इंदौर) शामिल हैं।
इस बार भी परिसीमन के दौरान कुछ क्षेत्रों के नए रूपों और आरक्षण की स्थिति में बदलाव की संभावना है, जो आगामी चुनावों की दिशा तय करेंगे।
ऐसे होगा परिसीमन
मध्य प्रदेश में 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए परिसीमन की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी की जाएगी:
- आंकड़ों का अध्ययन: अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के जिले और निर्वाचन क्षेत्रों के आंकड़ों का गहराई से अध्ययन किया जाएगा। यह अध्ययन यह सुनिश्चित करेगा कि सीटों का आरक्षण और परिसीमन जनसंख्या और जनसांख्यिकी के आधार पर सही तरीके से किया जाए।
- आयोग के सामने प्रस्तुतीकरण: विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़ों और जनसांख्यिकी के आधार पर आयोग के सामने विस्तृत प्रस्तुतीकरण पेश किया जाएगा। यह प्रस्तुतीकरण परिसीमन के निर्णयों पर प्रभाव डालेगा और आयोग को सही दिशा में निर्णय लेने में सहायता करेगा।
- सार्वजनिक सुनवाई: परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान सार्वजनिक सुनवाई आयोजित की जाएगी। इस दौरान, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के स्थानीय नेता और अन्य हितधारक अपने-अपने पक्ष प्रस्तुत करेंगे। ये सुनवाई स्थानीय मुद्दों और चिंताओं को आयोग के समक्ष रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी।
- परिसीमन के बदलाव: वर्तमान परिसीमन के अनुसार, कुछ क्षेत्र जैसे दिमनी, सेवदा, खुई, खरगापुर, पथरिया, और सुवासरा सामान्य निर्वाचन क्षेत्र बन गए हैं। जबकि देवसर क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति से अनुसूचित जाति के लिए और टिमरनी तथा पंधाना को अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया है।
- समिति की भूमिका: परिसीमन की प्रक्रिया को सही ढंग से अंजाम देने के लिए एक समिति गठित की जाएगी। यह समिति तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की तैयारी करेगी और सुनिश्चित करेगी कि सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी और निष्पक्ष हों।
- भाजपा की तैयारी: भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने उल्लेख किया है कि परिसीमन आयोग का गठन अभी नहीं हुआ है। पार्टी अपनी तैयारी आयोग के गठन और उसकी स्थिति के अनुसार करेगी, ताकि आगामी चुनावों के लिए सभी आवश्यक रणनीतियाँ और योजनाएं लागू की जा सकें।