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Tuesday, November 12, 2024

एमपी में विजयपुर और बुधनी उपचुनाव की तैयारी, भाजपा ने बिछाई बिसात, कांग्रेस भी मैदान में

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मध्य प्रदेश की राजनीति में विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपने-अपने स्तर पर चुनावी रणनीति बना रही हैं। विजयपुर में भाजपा ने वन मंत्री रामनिवास रावत को उम्मीदवार बनाने का फैसला लगभग तय कर लिया है, जबकि बुधनी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस बरकरार है।

भाजपा की तैयारी

भाजपा ने विजयपुर सीट के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। यहां भाजपा ने सीताराम आदिवासी को मनाने में सफलता हासिल की है, जो पहले पार्टी से असंतुष्ट थे। उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया है, जिससे वे अब भाजपा के साथ हैं। विजयपुर में ट्राइबल वोट निर्णायक माने जाते हैं, और भाजपा ने सीताराम को साथ लेकर अपने पक्ष को मजबूत करने का प्रयास किया है।

वहीं, बुधनी विधानसभा सीट पर अभी तक भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यह सीट शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। शिवराज के पुत्र कार्तिकेय चौहान की सक्रियता ने उनकी दावेदारी को लेकर अटकलें बढ़ा दी हैं, लेकिन भाजपा हाईकमान परिवारवाद के खिलाफ अपनी स्पष्ट राय पहले ही जाहिर कर चुका है। हालांकि, इस सीट पर भाजपा का प्रत्याशी शिवराज की पसंद का ही होगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है।

कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस भी विजयपुर और बुधनी में अपनी तैयारी कर रही है। पार्टी ने बूथ मैनेजमेंट के लिए 30-30 विधायकों की टोली तैयार की है, जो जमीनी स्तर पर चुनावी तैयारी करेगी। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती देने के मूड में है। खासकर बुधनी सीट, जो कि शिवराज सिंह चौहान की सीट रही है, पर कांग्रेस अपना पूरा जोर लगा रही है। यहां कांग्रेस ने 1993 और 1998 में लगातार जीत दर्ज की थी, और इस बार भी वह अपनी पुरानी सफलता दोहराने की कोशिश कर रही है।

बीना सीट पर सस्पेंस

बीना सीट पर अभी उपचुनाव की स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस की विधायक निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल हो चुकी हैं, लेकिन उन्होंने विधानसभा से अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। भाजपा ने बीना सीट से निर्मला सप्रे को उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया है, लेकिन क्षेत्र के पूर्व विधायक और पार्टी के कुछ अन्य पदाधिकारी इसका विरोध कर रहे हैं। बीना उपचुनाव के लिए स्थिति तब साफ होगी जब निर्मला सप्रे विधानसभा से इस्तीफा देंगी।

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