नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर ने हर नागरिक की परेशानी बढ़ा दी है। हालात को काबू करने के लिए केजरीवाल सरकार दिल्ली-एनसीआर में लॉकडाउन लगाने को तैयार है। दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी गई है। हालांकि कोर्ट ने लॉकडाउन को अंतिम उपाय के रूप में देखने की बात कही है। सुनवाई जारी है। वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है, क्योंकि यह प्रदूषण का केवल 10% योगदान देता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा कि आखिर दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का असल कारण क्या है कोर्ट को बताया गया कि वाहनों का धुआं और निर्माण कार्यों का भी इसमें योगदान है। प्रदूषण पर किसानों या एमसीडी पर ठीकरा फोड़ने पर भी जजों ने नाराजगी जताई
इससे पहले शनिवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने Delhi Air Pollution रोकने के लिए सरकार को 2-3 दिन का वक्त दिया था। साथ ही सुझाव दिया था कि क्यों न Delhi Air Pollution रोकने के लिए कुछ दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया जाए।
सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की पीठ ने कहा था, हमें बताएं कि हम एक्यूआई को 500 से कम से कम 200 अंक कैसे कम कर सकते हैं। कुछ जरूरी उपाय करें। क्या आप दो दिनों के लॉकडाउन या कुछ और के बारे में सोच सकते हैं? शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर 17 वर्षीय छात्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई है। बता दें, दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। शनिवार सुबह एक्यूआई 473 दर्ज किया गया था। नोएडा और गुड़गांव के पड़ोसी क्षेत्रों का वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमशः 587 और 557 दर्ज किया गया था।