उज्जैन। पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट प्रारंभ हो गई है। अधिकारी भी चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले 16 वर्षों से जनपद पंचायत पर भाजपा का कब्जा है। इस बार इसी दल के कुछ पदाधिकारियों द्वारा पंचायतों के निर्माण कार्य सरपंचों पर सत्तापक्ष का दबाव बनाकर एजेंसी से नहीं करने देते हुए अपने चहेते व रिश्तेदारों से करवाए। गुणवत्ताहीन कार्य होने से कुछ पंचायत के गांववासियों में भी आक्रोश देखा जा रहा है। पंचायत चुनाव में सत्तापक्ष को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
बात दे कोरोना महामारी के चलते शासन द्वारा पंचायत चुनाव नहीं करा पाए थे। चुनाव की सुगबुगाहट प्रारंभ हो गई है। निर्वाचन से लेकर चुनाव संपन्न कराने की तैयारी में अधिकारी लग गए हैं। शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर वीसी के माध्यम से मास्टर ट्रेनरों को भोपाल से प्रशिक्षण दिया गया। रिटर्निंग आफिसरों को चुनाव संबंधित 24 अलग-अलग किताबों का वितरण किया गया। अधिकारियों के अनुसार दीपावली के आसपास चुनाव की घोषणा हो सकती है। बता दें कि जनपद खाचरौद में लगभग 230 पंचायतें लगती हैं। पिछले 16 वर्षों से खाचरौद जनपद पर भाजपा परचम लहराती आ रही है। इस बार कुछ भाजपा के पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली से ग्रामीण क्षेत्र में नाराजगी व्याप्त हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के कुछ पदाधिकारी ने इंजीनियर से साठगांठ कर सरपंचों पर दबाव बनाकर नियम विरुद्ध कुछ ग्राम पंचायतों में अपने परिचितों व रिश्तेदारों से निर्माण कार्य करवाए हैं।
नियमानुसार पंचायतों के निर्माण कार्य की एजेंसी पंचायत होती है। इसे ही निर्माण कार्य करवाने का अधिकार है। कोई भी दूसरी संस्था व ठेकेदार कार्य नहीं करा सकता है। कई पंचायतों में एजेंसी द्वारा काम नहीं कराते हुए ठेकेदारों से काम कराया गया है। उनकी गुणवत्ता नहीं होने से कुछ दिनों में ही सड़क, नाली उखड़ गई है। निर्माण किए गए भवनों में भी दरारें हो गई। कुछ सत्तापक्ष के पदाधिकारियों की इस कार्यप्रणाली से इन्हीं के दल के कार्यकर्ता व सरपंच व ग्रामीणों में आक्रोश दिखाई दे रहा है। यह आक्रोश इस बार सत्तापक्ष को भारी पड़ सकता है।