ग्वालियर। अब जेल में बंदी पढ़ाई-लिखाई कर सकेंगे। साथ ही ऐसे कोर्स व डिप्लोमा कर सकेंगे जो वह यूनिवर्सिटी में ही आकर कर सकते थे। पहली बार उच्च शिक्षा के लिए जेल के द्वार खुले हैं। जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा जेल में बंदियों को पढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस प्रस्ताव को जेल विभाग की अनुमति मिल गई है। अब नए सत्र से इसे जेल में शुरू करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा यह अपनी सामाजिक सहभागिता के तहत किया जा रहा है। जेल विभाग से अनुमति आने के बाद इसे शुरू करने की योजना तैयार की जा रही है। इस योजना को नाम दिया गया है बंदी से बंधु। इसमें 7 डिप्लोमा और 6 सर्टिफिकेट कोर्स बंदियों को करवाए जाएंगे। यह सभी कोर्स स्किल डेवलपमेंट से जुड़े होंगे।
जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा 2 माह पहले यह योजना बनाई गई थी कि जेल में बंदियों को स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कोर्स करवाए जाएं ताकि वह जेल से निकलने के बाद इन कोर्सों में सिखाई गई स्किल्स का उपयोग रोजगार के लिए कर सकें। यूनिवर्सिटी का इस योजना को लागू करने के पीछे यह सोच बताया जाता है कि बंदी जेल से निकलने के बाद अपराध की दुनिया की ओर रुख न करें।
जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा जेल में बंदी से बंधु योजना के तहत पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशंस, पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजिकल काउंसलिंग, पीजी डिप्लोमा इन योगा एजुकेशन, पीजी डिप्लोमा इन एचआरडी, पीजी डिप्लाेमा इन ड्राइंग एंड पेंटिंग, पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ, पीजी डिप्लोमा इन फोरेंसिक साइंस जैसे डिप्लोमा कोर्स कराए जाएंगे, इसके अलावा सर्टिफिकेट कोर्स में औषधीय एवं सुगंधीय पौधों की खेती, फैशन डिजाइनिंग, ग्रामीण पत्रकारिता एवं जनसंचार, गुड्स एवं सर्विस टैक्स, वैदिक गणित और फलित ज्योतिष के कोर्स कराए जाएंगे।
जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने बताया कि जेल में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए जेल विभाग ने अनुमति दे दी है, अब जेल में स्किल डेवलपमेंट के कोर्स शुरू किए जाएंगे। इन कोर्सों की फीस नहीं ली जाएगी। योजना बंदी से बंधु नाम दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य यही है कि जेल से बाहर निकलकर बंदी वापस क्राइम की दुनिया में न जाते हुए समाज में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।