ग्वालियर। इमारत जितनी भव्य और विशाल होती है उसकी नींव भी उतनी गहरी होती है। जीवन की धरती पर धर्म की इमारत खडी करने के लिए मानवता की गहरी नींव चाहिए। जिस व्यक्ति का हृदय मानवता के सद्गुणों से शून्य है उस व्यक्ति के द्वारा किए गए धार्मिक क्रियाकलाप सार्थक परिणाम देने में समर्थ नहीं हैं। यह बात मुनिश्री प्रतीक सागर ने आचार्यश्री पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि हृदय की पवित्रता ही धर्म का आधार है अत: व्यक्ति को अपने हृदय को शुद्ध बनाना चाहिए। हृदय की मलिनता धर्म की तेजस्विता को खत्म कर देती है। धर्म की साधना करने के पूर्व मानवता के सद्गुणों का विकास बेहद जरुरी है। मानवता की नींव पर ही धार्मिकता का महल खडा होता है। मुनिश्री ने कहा कि गृहस्थ जीवन में धन की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता।