बांग्लादेश की सत्ता अब धार्मिक शख्सियतों के हाथों में है। हालांकि, मुहम्मद यूनुस को एक मुखौटे के रूप में प्रस्तुत कर यह दिखाने की कोशिश की गई कि बांग्लादेश में उदारवादी व्यवस्था स्थापित हो रही है। लेकिन कांग्रेस के लोकसभा सांसद और कूटनीति के विशेषज्ञ शशि थरूर ने इस स्थिति को ‘मुंह में राम, बगल में छूरी’ की नीति के तहत समझाया है। उन्होंने बांग्लादेश के हिंदुओं पर जो बयान दिया है उसे सुनकर राहुल गांधी को गुस्सा आना तया है.
थरूर ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह संभव नहीं कि बांग्लादेश भारत के साथ दोस्ताना रिश्तों को पूरी तरह से समाप्त कर दे और भारत के लोग चुपचाप देखते रहें। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं, पर जो अत्याचार हो रहे हैं, वे अत्यंत चिंताजनक हैं। थरूर ने यहाँ तक कहा कि अगर बांग्लादेश में हिंसा और अत्याचार इसी तरह जारी रहे, तो इसका भारत पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
थरूर ने कहा कि लोकतांत्रिक आंदोलन के नाम पर आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ छात्रों के विरोध को किस प्रकार अराजकता, हिंसा और सांप्रदायिक नफरत का प्रतीक बना दिया गया, इसे सोचना चाहिए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारतीयों को बांग्लादेश के लोगों के साथ मजबूती से खड़ा रहना होगा, लेकिन यह भी सच है कि जब बांग्लादेश भारत के प्रतीक चिह्नों पर हमला कर रहा है, तो इसे नजरअंदाज करना हमारे लिए कठिन है। उन्होंने हिंसा के दौरान विभिन्न संस्थाओं को निशाना बनाए जाने का उल्लेख किया, जिसमें भारतीय सैनिकों की विजय की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया और भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, इस्कॉन मंदिर समेत कई अन्य संस्थाओं को तोड़ दिया गया। ये सभी घटनाएँ भारतीयों के लिए नकारात्मक संकेत हैं और बांग्लादेश के हित में भी नहीं हैं।
थरूर ने कहा कि बांग्लादेश के लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के दौरान अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं, के खिलाफ जो हिंसा हो रही है, उस पर निश्चित रूप से हमारी नजर है और हमारे देश समेत अन्य स्थानों पर भी इस पर आवाज उठी है। बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुसलमानों के साथ-साथ सेना और पुलिस भी हिंदुओं पर अत्याचार कर रही है। हिंसा में अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले हिंदू जब प्रदर्शन कर रहे थे, तो बांग्लादेशी सेना ने उन्हें दबाने की कोशिश की। उनका प्रदर्शन ढाका के जमुना स्टेट गेस्ट हाउस के बाहर हो रहा था, जहाँ मुहम्मद यूनुस ठहरे हुए हैं।
बढ़ते हिंदू आक्रोश को देखकर यूनुस ने ऐतिहासिक ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा किया और मजबूरी में अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन दिया।