छतरपुर। छतरपुर जिले में इस साल प्रदेश के सबसे बड़े रावण दहन की तैयारी की गई थी, लेकिन बारिश के चलते रावण भीग गया और रावण के पुतले को करीब 25 से 30 लीटर पेट्रोल डालकर जलाना पड़ा। दरअसल छतरपुर की लाल कड़क्का रामलीला समिति ने रामलीला मंचन के 125 वर्ष पूर्ण होने पर इसे यादगार बनाने के लिए 125 फीट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण कराया था। जो कि मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा रावण था।
रावण के इस पुतले को सवा महीने में 6 लाख 50 हजार रुपये की लागत से तैयार किया गया था। काफी मेहनत से बने इस रावण को जहां तकनीकी दिक्कतों के चलते कानपुर से बुलाई गई विशेष क्रेन की मदद से खड़ा किया गया वहीं, इसे बारिश के चलते जला भी नहीं सके।
जब राम रावण युद्ध के बाद रावण दहन की बारी आई तो रावण को क्रेन की मदद से धीरे-धीरे नीचे जमीन पर लिटाया गया और फिर उसमें आग लगाई गई। प्रदेश का सबसे ऊंचा रावण जिलेभर के लोगों के लिए आकर्षक का केंद्र था, लेकिन वह इसे जलता नहीं देख सके और दशहरे का सारा मजा किरकिरा हो गया।
रावण दहन देखने के लिए लोग बारिश में भी खड़े रहे, लेकिन भीग जाने के चलते रावण को जलाने में काफी मुश्किलों की सामना करना पड़ा, बाद में इसे जमीन पर लिटाकर पेट्रोल की सहायता से जलाया गया। रावण में आतिशबाजी के लिए अलग से पटाखे लगाए गए थे, जिससे हादसा होने की आंशका भी थी, हालांकि राहत की बात ये रही किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई।