ग्वालियर: गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाकिस्तान सीमा पर पहले इजरायली वाहन का उपयोग करके चौकसी की जा रही थी, जिसकी लागत 3 करोड़ रुपये थी और चार साल के रखरखाव का खर्च लगभग 1.5 करोड़ रुपये था। यह वाहन रणवीर नामक लो प्रेशर टायर वाले ऊंट के पैरों की तरह गुदगुदे टायरों के कारण दलदली भूमि पर भी आसानी से गश्त कर सकता था।
अब ग्वालियर बीएसएफ के केंद्रीय मोटर गाड़ी प्रशिक्षण स्कूल ने केवल 15 लाख रुपये और जुगाड़ से रणवीर (ऑल टेरेन व्हीकल) तैयार किया है, जो किफायती और प्रभावी है। इस वाहन का वजन 800 किलो है और इसमें तीन लोग बैठ सकते हैं। इसमें लगे कैमरे की सहायता से यह वाहन एक निश्चित दूरी तक पोस्ट से संपर्क बनाए रखता है।
रणवीर को अब और अपग्रेड करने पर काम चल रहा है, जिसमें इसकी बैठने की क्षमता और पावर को बढ़ाने की योजना है। यह वाहन कच्छ के रण के दलदली इलाकों में सफलतापूर्वक गश्त करने में सक्षम है, जहां परंपरागत वाहन नहीं चल पाते।
कच्छ का रण 23,300 वर्ग किमी में फैला हुआ है और यहां का वातावरण सैनिकों और उनके उपकरणों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। इस नए वाहन के उपयोग से बीएसएफ की गश्त और निगरानी की क्षमता में सुधार हुआ है, जिससे सीमा सुरक्षा अधिक प्रभावी हो गई है।