मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर के कलेक्टरों पर सख्त रुख अपनाते हुए 1988 से लेकर अब तक रहे सभी कलेक्टरों से मुआवजे की राशि वसूलने का आदेश दिया है। यह आदेश एक याचिका के संबंध में दिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता शशि पांडे ने दावा किया था कि उनकी आधारताल बायपास से लगी 29,150 वर्गफुट जमीन 1988 में सरकार ने बिना मुआवजा दिए अधिग्रहण कर ली थी। इस मामले में कोर्ट ने सरकार की ओर से किसी तरह का मुआवजा न दिए जाने और अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी न करने को लेकर सख्त टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार किसी भी व्यक्ति की जमीन को बिना उचित मुआवजा दिए ‘गुंडागर्दी’ से नहीं हड़प सकती। कोर्ट ने आदेश दिया कि शशि पांडे को उनकी जमीन का मुआवजा 1988 से अभी तक 10 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से दिया जाए। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मुआवजा राशि जबलपुर में 1988 से लेकर अब तक कलेक्टर रहे अफसरों से वसूली जाए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव, रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट दें। दो महीने के भीतर मुआवजे का भुगतान न करने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले भी शशि पांडे ने 2006 में एक याचिका दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट ने कलेक्टर को मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद 2016 में फिर से याचिका दायर करने पर कोर्ट ने 36 साल की मुआवजा राशि वसूलने का आदेश दिया है।
इस आदेश ने राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश भेजा है और यह दिखाया है कि कोर्ट लोगों के अधिकारों के हनन को बर्दाश्त नहीं करेगा।