भोपाल। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई की जाएगी। महाराष्ट्र सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाए जाने के विरुद्ध दायर याचिका के साथ सुनवाई करने का फैसला लिया गया है। कांग्रेस के सैयद जाफर और जया ठाकुर द्वारा याचिका दायर की गई है। इसमें 2014 के आरक्षण से चुनाव कराने और 2019 के परिसीमन को निरस्त करने की आपत्ति उठाई गई है।
मध्यप्रदेश सरकार ने पंचायत राज अधिनियम में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन करके कमलनाथ सरकार में वर्ष 2019 में हुए परिसीमन और आरक्षण को निरस्त कर दिया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2014 के चुनाव में लागू आरक्षण और परिसीमन के आधार पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी है। 13 दिसंबर को अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन का सिलसिला प्रारंभ हो जाएगा। कांग्रेस के सैयद जाफर और जया ठाकुर ने इस प्रविधान को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी पर न्यायालय ने चुनाव पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
बात दे इसके निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जाफर का कहना है कि निवाड़ी 2018 में जिला बना है। यहां बिना सीमांकन कराए चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। पंचायतों का आरक्षण रोटेशन व्यवस्था पर होता है, जिसे अध्यादेश के माध्यम से बाधित किया गया है। जबकि, जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण 14 दिसंबर को किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सुनवाई हुई और अगली तारीख 13 दिसंबर निर्धारित की है। हमें चुनाव की तारीख से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन परिसीमन और आरक्षण 2019 का रखा जाए।