ग्वालियर। जिनका आचरण जेल में अच्छा होगा, साथ ही जो 14 साल से ज्यादा की सजा काट चुके होंगे। ऐसे बंदियों की सूची बनाकर गृह विभाग को भेज दी गई है। अब इनको दो अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती पर खुले आसमान में नई जिंदगी के लिए शुभकामनाएं देकर रिहा किया जाएगा।
अभी तक आपने देखा होगा कि देश की आजादी के दिन मतलब स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) को ही जेल से बंदी रिहा किए जाते थे।
लेकिन इस बार शासन की पहल पर 2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर भी ग्वालियर सेन्ट्रल जेल से बंदी रिहा होंगे। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। जेल मुख्यालय ने सरकार की मंशा पर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को रिहा करने का फैसला किया है।सरकार की पहल पर जेल प्रबंधन इस बार गांधी जयंती पर करीब 95 बंदी रिहा कर रहा है, इन बंदियों के परिजनों को भी इसकी सूचना दे दी गई है। सरकार गांधी जयंती पर इन बंदियों को रिहाई दे रही है, जिससे इनका आगामी जीवन जेल की चार दीवारी के बाहर परिजन के साथ बीते।
अभी तक 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर ही बंदियों को जेल से रिहा किया जाता था। पर अब 2 अक्टूबर गांधी जयंती और 14 अप्रैल संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेड़कर की जयंती पर भी बंदियों को जेल की चार दीवारी से रिहाई मिलेगी।
इन मामलों में नहीं मिलेगी रिहाई ग्वालियर जेल में सहायक जेलर प्रभात ने बताया कि जेल से रिहाई के लिए ऐसे बंदियों का चुनाव किया गया है जो सिंगल क्राइम में आरोपी है। मतलब एक ही क्राइम में आरोपी है। जिसमें वह 14 साल की सजा काट चुके हैं और उनका जेल में आचरण अच्छा रहा है। जो बंदी दुष्कर्म के मामले में जेल में है उन्हें इस रिहाई में शामिल नहीं किया जाएगा। जिस बंदी ने एक बार से ज्यादा हत्या की वारदातों को अंजाम दिया है, उसे रिहाई की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। इस मामले में जेल प्रबंधन का कहना है कि गांधी जयंती पर इस बार बंदी रिहा किए जा रहे है और इसी तरह अब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती पर भी बंदी रिहा होंगे। जबकि इससे पहले गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर ही बंदी रिहा किए जाते थे।