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Tuesday, October 29, 2024

रेरा चेयरमैन पर प्रोजेक्ट लटकाने का आरोप, सरकार को मिली गंभीर शिकायतें

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भोपाल: मध्य प्रदेश की रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के चेयरमैन और पूर्व आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव विवादों में घिर गए हैं। शासन के पास उनके खिलाफ चार महत्वपूर्ण शिकायतें पहुंच चुकी हैं। ये शिकायतें नियमों का उल्लंघन, प्रोजेक्टों में देरी, और उन प्रोजेक्टों को रद्द करने से संबंधित हैं जिनमें श्रीवास्तव ने खुद एक डुप्लेक्स बनाया था। इन शिकायतों की जांच के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

आकृति गार्डन मामले में प्रमोटर्स ने आरोप लगाया है कि श्रीवास्तव ने जानबूझकर उनके प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया, जिससे उन्हें बैंकों से 80 से 100 करोड़ रुपये का लोन प्राप्त करने में मुश्किल हुई। जानकारों के अनुसार, जब किसी वैधानिक संस्था के प्रमुख किसी मामले में स्वयं पार्टी होते हैं, तो उन्हें उस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। इसका उदाहरण पूर्व सीएस बीपी सिंह है, जिन्होंने गैमन प्रोजेक्ट में अपनी भागीदारी के कारण सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

रेरा के खिलाफ लगाए गए चार प्रमुख आरोप 

1. विपिन गोयल, क्रेडाई: आरोप है कि श्रीवास्तव ने शासकीय अधिकारियों द्वारा दी गई मंजूरी को बार-बार जांचा और काम में जानबूझकर देरी की। जो काम 30 दिनों में पूरा होना चाहिए था, उसमें 6 से 8 महीने लग गए। श्रीवास्तव ने रेरा एक्ट के तहत बिना अनुमोदन के गलत सीए सर्टिफिकेट लागू किया।

2. हेमंत कुमार सोनी, एजी-8 के प्रमोटर्स: श्रीवास्तव ने पलाश गृह निर्माण सहकारी संस्था लिमिटेड की जमीन पर डुप्लेक्स बनाने के लिए किए गए एग्रीमेंट को लेकर देरी की। इसके कारण आकृति एक्वासिटी, आकृति गार्डन और अन्य 12 प्रोजेक्टों की सुनवाई की और सभी को रद्द कर दिया।

3. प्रभाष जेटली: आरोप है कि रेरा में कुछ पदों पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर बिना शासन की मंजूरी के भर्ती की गई।

4. जीपी गुप्ता: आरोप है कि श्रीवास्तव ने विधि विरुद्ध प्रोजेक्टों की समय सीमा तय की और क्रेता और प्रमोटर्स के बीच भुगतान की किस्तों को सीमित किया।

इन शिकायतों की जांच मुख्य न्यायाधीश के स्तर पर की जा सकती है, और जल्द ही मामला हाई कोर्ट भेजे जाने की संभावना है। एपी श्रीवास्तव ने 1 अप्रैल 2021 को रेरा चेयरमैन का पद संभाला था, और उनकी नियुक्ति पांच साल या 65 वर्ष की आयु तक, जो पहले हो, तक की अवधि के लिए है। इसलिए, उनके पास करीब दो साल का समय और है।

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