भोपाल: मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने यूट्यूबर और कंटेंट क्रिएटर आरजे रौनक पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदिवासी समाज के महान नायक टंट्या मामा के अपमान का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार इस मामले में त्वरित कार्रवाई करे, आरजे रौनक का यूट्यूब चैनल बंद किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई ऐसी अपमानजनक हरकत न कर सके।
टंट्या मामा, जिन्हें “भारत का रॉबिनहुड” भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के आदिवासी भील समुदाय से थे। उनका जन्म खंडवा जिले के पंधाना में हुआ था और वे गरीबों तथा आदिवासियों के लिए संघर्ष करने वाले एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। आदिवासी समाज और देश के विभिन्न हिस्सों में उन्हें बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है। उनकी स्मृति में मध्य प्रदेश में कई आयोजन होते हैं, और उनके नाम पर कई स्थानों और संस्थानों के नाम रखे गए हैं।
वीडियो में की गई अपमानजनक टिप्पणी
कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें आरजे रौनक टंट्या मामा के रूप-रंग को लेकर अशोभनीय टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं। इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए सिंघार ने इसे पूरे आदिवासी समाज का अपमान बताया और कहा कि यह टिप्पणी क्षमा योग्य नहीं है। उन्होंने कहा, “ऐसे महान सेनानी और आदिवासी समाज के देवता तुल्य टंट्या मामा के बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना अपराध की श्रेणी में आता है।”
कानूनी कार्रवाई की मांग
आरजे रौनक ने विवाद बढ़ने के बाद माफी मांगते हुए वीडियो को हटा लिया, लेकिन उमंग सिंघार का कहना है कि केवल माफी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने आरजे रौनक के यूट्यूब चैनल को बंद करने और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की।
सरकार की चुप्पी पर सवाल
सिंघार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अभिनेत्री के कपड़ों और फिल्मों के टाइटल पर तो टिप्पणी करती है, लेकिन आदिवासी समाज के महान नायक पर की गई अभद्र टिप्पणी पर चुप क्यों है? उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए कहा कि पीएम ने खुद एक कार्यक्रम में आरजे रौनक को सम्मानित किया था, ऐसे में यह मामला और भी गंभीर हो जाता है।
आदिवासी समाज की भावनाओं का अपमान
टंट्या मामा की भूमिका और आदिवासियों के अधिकारों के लिए उनके संघर्ष को लेकर पूरे आदिवासी समाज की गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। कांग्रेस ने इस अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार इस पर उचित कार्रवाई करेगी।
यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित संस्थाएं इस पर क्या कदम उठाती हैं।