राशि। हिंदू ज्योतिष में शनिदेव की चाल हर राशि के जातकों को प्रभावित करती है। शनिदेव को दुख, रोग, लोहा, और सेवक आदि का कारक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सभी 9 ग्रहों में शनि ग्रह की चाल सबसे धीमी होती है और वे हर राशि में करीब ढाई समय रहते हैं। शनिदेव को एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। इसे ही शनि की साढ़े साती और ढैय्या कहा जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है और हर जातक को कर्म के अनुसार ही फल देते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक शनि कुंभ राशि में 17 जून 2023 की रात 10.48 मिनट पर शनि कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे। शनि देव 4 नवंबर सुबह 8.26 मिनट तक इस अवस्था में रहेंगे।
हिंदू पंचांग के मुताबिक शनिदेव लगभग 5 महीने वक्री अवस्था में रहेंगे। ऐसे में कुछ जातकों पर इसका अशुभ प्रभाव हो सकता है। ज्योतिष के मुताबिक इन पांच राशियों पर शनि के वक्री होने के कारण परेशानी झेलना पड़ सकती है –
मेष राशि वाले शनि की वक्री अवस्था के दौरान सेहत से जुड़ी परेशानी झेल सकते हैं। कार्यस्थल पर काम का भार हो सकता है। शारीरिक और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। शनि की वक्री चाल व्यापारी वर्ग को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगी। परिवार में भी तनाव हो सकता है।
कर्क राशि वालों के लिए शनि आठवें भाव में वक्री हो रहे हैं और यह परेशानी का कारण बन सकता है। कर्क राशि वाले जातकों के लिए शनि की वक्री अवस्था शुभ नहीं कही जा सकती है। कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है और सेहत भी खराब हो सकती है। अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
तुला राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना संकट लेकर आ सकता है। नौकरी में बदलाव हो सकता है लेकिन बहुत ज्यादा लाभ नहीं होगा। मौजूदा समय में जहाँ आप नौकरी कर रहे हैं, वहां आपको भविष्य में लाभ मिलने की संभावना है। अपनी माता के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। परिवार में तनाव हो सकता है। वाहन सावधानी से चलाएं।
शनि देव कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं और इसलिए कुंभ राशि वाले जातकों को मानसिक व पारिवारिक तनाव झेलना पड़ सकता है। बिना सोचे-समझे फैसला लेने से बचें। कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले घर के बड़े बुजुर्गों से सलाह जरूर लें क्योंकि बाद में आप उस फैसले पर पछतावा हो सकता है। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है।