ग्वालियर। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक अनोखा अंदाज देखने में आया है। उन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों को न केवल अपने हाथ से खाना परोस कर खिलाया बल्कि उनके साथ बैठकर उनकी थाली में उनके साथ भोजन किया। सिंधिया घराने में पहली बार किसी ने ऐसा किया है। ऐसा सिंधिया ने इसलिए किया कि बैठक में कुछ समाज के लोगों ने सवाल किया था कि आज भी उनको मंच पर जाति की वजह से उच्च स्थान नहीं मिलता है। इस पर सिंधिया ने जो किया उसके बाद सब उनके मुरीद हो गए।
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अनुसूचित जाति समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद न केवल उनके साथ खाना खाया बल्कि कहा कि 2 अप्रैल 2018 के समाजिक दंगों को प्रदेश आज भी नही भूला है। 2 अप्रैल 2018 का दिन इतिहास का एक काल दिन था, जिसे भुलाकर हम सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा। इस दौरान सिंधिया का सहज अंदाज़ भी देखने को मिला। सिंधिया ने अनुसूचित जाति समाज के लोगों को अपने हाथों से खाना परोसा और फिर उनके साथ बैठकर भोजन किया। राज परिवार से होने के बावजूद सिंधिया बेहद आम तरीके से पेश आए तो अनुसूचित जाति समाज के लोग भी महाराज के अंदाज़ के मुरीद हो गए।
सिंधिया परिवार ने हमेशा एससी वर्ग के लिए काम किया है
तीन दिवसीय प्रवास पर ग्वालियर आए सिंधिया ने अनुसूचित जाति वर्ग के जनप्रतिनिधियों और आम लोगों के कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान सिंधिया ने कहा कि भाजपा और सिंधिया परिवार ने हमेशा अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए काम किया है और हमेशा करते रहेंगे। कार्यक्रम के बाद सिंधिया ने अपने हाथों से अनुसूचित जाति के लोगों को खाना परोसा। वहीं सिंधिया ने जाटव समाज के एक व्यक्ति के साथ एक ही प्लेट में खाना भी खाया। इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए सिंधिया ने कहा कि हमारी परंपरा है, हम पहले दूसरों को खाना खिलाते हैं, फिर खुद खाना खाते हैं, उसी परंपरा का निर्वहन मैंने किया है। सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर चंबल और MP के सभी वर्गों से हमारा प्रेम का नाता है। खुद खाने से पहले दूसरों को अपने हाथों से भोजन परोसना और फिर सबके खाने में उनको संतुष्टि मिलती है।
सिंधिया ने किया सन 2018 दंगों के दर्द मिटाने का प्रयास
2 अप्रैल 2018 में जातिगत हिंसा के बाद विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ग्वालियर चंबल अंचल में हुआ था। यहां लगभग 90 प्रतिशत सीट भाजपा के हाथ से चली गई थीं। अब सिंधिया कांग्रेस से भाजपा में आ गए हैं। अब सिंधिया पर दायित्व है कि वह अनुसूचित जाति वर्ग को वापस मुख्य धारा में जोड़कर भाजपा का मुरीद बनाए। सिंधिया ने अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को साथ एक ही पेट में खाना खाकर कुछ हद तक यह प्रयास किया है।