भोपाल | अगर सब कुछ ठीक रहा तो शिवराज सिंह चौहान अपनी काबीना का हफ्ते भर के भीतर विस्तार और फेरबदल का काम पूरा करलेंगे। अभी तक जो मंत्रिमंडल था वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का होते हुए भी नहीं था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के आठ और दूसरे अन्य दो कांग्रेस विधायकों को इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने की शर्त पर मंत्री बनाया गया था। शिवराज सिंह चौहान का जो मौजूदा मंत्रिमंडल इन्ही मजबूरियों के चलते क्षेत्रीय और जातिगत असंतुलन से भरपूर है।
सिंधिया समर्थकों का फैसला शिवराज के हाथ में , CM शिवराज का काबीना का विस्तार अगले हफ़्ते
लेकिन शिवराज काबीना का नया स्वरूप इन्हीं खामियों को दूर करते हुए 2023 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाए। भाजपा संगठन के भरोसेमंद सूत्रों की माने तो शिवराज सिंह चौहान करीब हफ्ते भर में नई टीम को बनाने और उसे हाई कमान की हरी झंडी पाने का काम कर सकते हैं।
यानि अगले सात से दस दिनों के भीतर टीम शिवराज का पुर्नगठन कर लिया जाएगा। सबसे पहले तो गोविंद राजपूत और तुलसी सिलावट को काबीना में शरीक किया जाना लगभग तय है। छह महीने को वक्त बीत जाने के चलते उपचुनावों के बीच दोनों के इस्तीफे हुए थे। तीन जो मंत्री हारे हैं, उनमें ऐंदल सिंह कंसाना तो पहले ही मंत्री पद त्याग चुके हैं। इमरती देवी और गिरिराज दंडोतिया का त्यागपत्र शीघ्र ही मंजूर किया जाएगा।
शिवराज काबीना में सिंधिया समर्थक तीन नेताओं को तो इसलिए मंत्री बनाया गया था ताकि वह मंत्री होने के बूते पर चुनाव जीत सकें। कमलनाथ की काबीना में उन्हें स्थान नहीं मिला था। ये थे मुंगावली के ब्रजेंद्र यादव, दिमनी से गिरिराज दंडोतिया और मेहगांव से ओपीएस भदौरिया
सिंधिया समर्थकों का फैसलाशिवराज के हाथ सिंधिया के सम्मान में बलिदान देने वाले रघुराज कंसाना, गिरिराज दंडोतिया जसवंत जाटव , मुन्नालाल गोयल,और इमरती देवी को भले ही निगम मंडल में नवाजा जा सकता है। लेकिन बाकी के बारे में शिवराज और सिधिया को फैसला करना होगा कि उन्हें मंत्री बनाकर रखा जाए या फिर उन्हें भी निगम में एडजस्ट किया जाए। ग्वालियर चंबल की बात करें तो तीन-तीन क्षत्रिय नेता मंत्री है।
भिंड से अरविंद भदौरिया के साथ ओपीएस भदौरिया और ग्वालियर प्रद्युम्न सिंह तोमर मंत्री है। कुल मिलाकर देखें तो मौजूदा मंत्रिमंडल में अभी भी ग्वालियर-चंबल का दबदबा है। जबकि जिस विंध्य इलाके में भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों को बुरी तरह पछाड़ा था वहां से कोई मंत्री नहीं है। सिर्फ कोयला अंचल से बिसाहूलाल सिंह भर मंत्री है। लेकिन मूलतः भाजपाईयों में किसी को भी मौका नहीं मिल सका, जबकि राजेंद्र शुक्ल, संजय पाठक, केदार शुक्ला और गिरीश गौतम जैसे नाम हैं मंत्री बनने की चाहत रखते हैं।