मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कपिल परमार ने पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। कपिल, जो किसान के बेटे हैं और चार भाई-बहनों में चौथे नंबर पर आते हैं, ने अपने संघर्ष और मेहनत के दम पर यह अद्वितीय उपलब्धि हासिल की है। उनकी इस जीत ने सीहोर और पूरे भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
कपिल का संघर्ष और जूडो से जुड़ाव
कपिल परमार का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। 12 साल की उम्र में एक दुर्घटना के कारण कपिल की दृष्टि 80% तक खराब हो गई थी, लेकिन इस अंधेरे में उन्होंने उम्मीद की नई किरण खोजी और जूडो की ओर कदम बढ़ाया। कपिल के परिवार ने गरीबी के बावजूद उनका साथ नहीं छोड़ा। उनके पिता, जो टैक्सी चलाते हैं, और परिवार के अन्य सदस्य चाय की दुकान, गोबर के कंडे बनाने, ईंट भट्टे पर काम करके कपिल की प्रैक्टिस के लिए पैसे जुटाते रहे।
पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक पर कब्जा
कपिल परमार ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में पुरुष 60 किग्रा की जे1 स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया। कांस्य पदक मुकाबले में उन्होंने ब्राजील के एलिएलटन डि ओलिवेरा को 10-0 से हराकर पदक जीता। कपिल इस उपलब्धि के साथ पैरालंपिक या ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरा जूडो खिलाड़ी बन गए हैं। इस पदक के साथ भारत ने पेरिस पैरालंपिक में अपने पदकों की संख्या 25 तक पहुंचा दी, जिसमें 5 स्वर्ण, 9 रजत, और 11 कांस्य पदक शामिल हैं।
कपिल की पिछली उपलब्धियां
कपिल परमार ने 2022 एशियाई खेलों में भी पुरुष 60 किग्रा की जे1 स्पर्धा में रजत पदक जीता था। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में वेनेजुएला के मार्को डेनिस ब्लांको को 10-0 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से हार गए।
कपिल की इस उपलब्धि से उनके गृह नगर सीहोर में खुशियों की लहर दौड़ गई। कपिल के घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया और शहर में आतिशबाजी से जश्न मनाया गया। यह सीहोर के लिए गर्व का क्षण है, जब पहली बार किसी खिलाड़ी ने पैरालंपिक में पदक जीता है।
हालांकि कपिल पैसों की कमी के कारण चाय की दुकान चलाते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी प्रैक्टिस में कभी कमी नहीं आने दी। कपिल की सफलता उनके संघर्ष, समर्पण और परिवार के अटूट समर्थन की कहानी है, जिसने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुंचाया है।
कपिल परमार ने साबित कर दिया है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर जुनून और मेहनत हो, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी यह सफलता देश के सभी उभरते खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।