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Monday, October 21, 2024

सीनियर साइंटिस्ट से 71 लाख की ठगी, डिजिटल अरेस्टिंग का शिकार बने

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मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी से 71 लाख से अधिक की धोखाधड़ी की गई। इस वारदात को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्टिंग के जरिए अंजाम दिया।

कैसे हुई ठगी?

1 सितंबर को इंदौर के एक सीनियर साइंटिस्ट को फोन आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि 18 अगस्त 2024 को दिल्ली में उनके नाम पर एक सिम कार्ड जारी हुआ था, जिसका इस्तेमाल अवैध विज्ञापनों और महिला उत्पीड़न से जुड़े एसएमएस भेजने में किया गया। फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताया और सीनियर साइंटिस्ट को धमकाया कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगे, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इसके बाद साइंटिस्ट की पत्नी को भी धमकी भरे फोन कॉल आने लगे। अपराधियों ने खुद को ईडी, सीबीआई, आरबीआई और दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी को डराना शुरू कर दिया।

71 लाख से अधिक की ठगी

लगातार छह दिनों तक साइबर अपराधियों ने विभिन्न तरीकों से फोन कॉल कर उन्हें डराया और धमकाया, जिसके चलते 71 लाख 33 हजार रुपए साइंटिस्ट के अकाउंट से साइबर अपराधियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए। ठगी गई राशि को 23 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया, जिसे इंदौर साइबर क्राइम ब्रांच ने चिन्हित कर लिया है और मामले की जांच जारी है।

सीनियर साइंटिस्ट को लगातार धमकियां

साइबर अपराधी इतने संगठित तरीके से काम कर रहे थे कि जब सीनियर साइंटिस्ट ने दोबारा उनसे संपर्क करने की कोशिश की, तो फोन नंबर बंद पाया गया। इसके बाद साइंटिस्ट ने सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर अपराधियों की खोजबीन की, तब उन्हें एहसास हुआ कि वे साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।

पुलिस की जांच

सीनियर साइंटिस्ट ने तुरंत इंदौर के द्वारकापुरी पुलिस से संपर्क किया और मामले की शिकायत की। इसके बाद इंदौर साइबर क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू की और पाया कि यह घटना डिजिटल अरेस्टिंग का हिस्सा थी, जो पिछले कुछ महीनों में तेजी से बढ़ रही है। डीसीपी राजेश त्रिपाठी के अनुसार, यह इंदौर में साइबर अपराधियों द्वारा की गई संगठित ठगी का एक बड़ा उदाहरण है।

बढ़ते डिजिटल अरेस्टिंग के मामले

मध्य प्रदेश में डिजिटल अरेस्टिंग के जरिए ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब तक 27 से 28 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से सीनियर साइंटिस्ट का मामला सबसे हालिया है। पुलिस और साइबर क्राइम ब्रांच इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए बारीकी से जांच कर रही है और साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

इस घटना ने राज्य के नागरिकों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक होने और इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता पर बल दिया है।

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