ग्वालियर। कुंभ राशि पर गोचर करते हुए भगवान शनि 17 जून की रात्रि 10 बजकर 52 मिनट पर वक्री हो रहे हैं। इसी वक्री अवस्था में ही चलते हुए वह चार नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर पुनः मार्गी होंगे। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है और वो लोगों को उनके कर्म और मेहनत के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अवधि के लिए वक्री चाल चलते हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ता है। इस बार भी इसका असर देखा जाएगा।
वृषभ राशि
वक्री शनि कार्यक्षेत्र का विस्तार तो करेंगे किंतु अति व्यस्तता के कारण शारीरिक थकान का सामना भी करना पड़ेगा। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें।
मिथुन राशि
वक्री शनिदेव का फल शुभ ही रहेगा। धर्म और अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। माता-पिता से रिश्ते बिगड़ने न दें। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा।
कर्क राशि
वक्री शनिदेव का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। स्वास्थ्य के प्रति अति सावधान रहने की आवश्यकता है।
सिंह राशि
विवादों से दूर रहें और कोर्ट-कचहरी से संबंधित मामले भी बाहर ही सुलझाएं। स्वास्थ्य विशेषकर के जोड़ों में दर्द से सावधान रहें।
कन्या राशि
कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना अच्छा रहेगा। इस अवधि के मध्य अधिक कर्ज के लेन-देन से बचें।
तुला राशि
व्यापार की दृष्टि से तो समय उत्तम रहेगा किंतु प्रेमसंबंधी मामलों में उदासीनता रहेगी। प्रेम विवाह में भी अड़चन आ सकती हैं।
वृश्चिक राशि
जमीन जायदाद से जुड़े मामले हल होंगे, माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें।
धनु राशि
वक्री शनिदेव बेहतरीन सफलता दिलाएंगे। विदेश यात्रा का भी योग बनेगा।
मकर राशि
व्यापारिक पक्ष मजबूत रहेगा किंतु कहीं न कहीं पारिवारिक कलह और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है।
कुंभ राशि
अत्यधिक खर्च के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। अपने आवेश को नियंत्रित रखते हुए कार्य करें।
मीन राशि
भावनाओं में बहकर लिया गया निर्णय नुकसानदेय सिद्ध होगा। यात्रा सावधानीपूर्वक करें। वाहन दुर्घटना से बचें।