इंदौर। न्याय के देवता सूर्य व माता छाया के पुत्र भगवान शनिदेव 15 नवंबर शुक्रवार से मार्गी हो गए। अभी न्याय के देवता कुंभ राशि में वक्री चाल चल रहे थे।
शनिदेव वैसे भी अन्य ग्रहों की अपेक्षा धीमी चाल चलते हैं। शनि देव के मार्गी होने से साढ़ेसाती और ढैया के जातक राहत महसूस करेंगे। ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अभी शनि ग्रह वक्री चाल चल रहे थे, अब 15 नवंबर से मार्गी हो गए।
शनि के मार्गी होने से कई राशियों पर इसका असर होगा। खासकर शनि की साढ़े साती वाली और ढैया वाली राशियां लाभ पाएंगी। इससे पहले शनि वक्री थे, वक्री मतलब विपरीत दिशा में चल रहे थे।
ऐसा कहा जाता है कि शनि विपरीत दिशा में चलकर नकारात्मक परिणाम देते हैं और इससे शनि की साढ़े साती वाली राशियां प्रभावित होती हैं। शनि अभी कुंभ राशि में चल रहे हैं।
शनि देव 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का वक्री होना अच्छा नहीं माना गया है, क्योंकि उनकी ऊर्जा अत्यधिक हो जाने के कारण उनकी फल देने की शक्ति अव्यवस्थित और अनिश्चित हो जाती है।
सभी 9 ग्रहों में केवल शनिदेव के पास कर्म का फल देने का अधिकार है, इसलिए वे कर्मफल के स्वामी कहलाते हैं। शनिदेव जीवन में पाप-पुण्य के अनुसार, दंड भी देते हैं। इसलिए वे न्यायाधीश भी हैं।
जिन लोगों पर अब तक शनि की कुदृष्टि है, उनकी समस्याएं हल होने लगेंगी। हर काम में तेजी आएगी। अब तक जो फैसले गलत साबित हो रहे थे, वो सही साबित होने लगेंगे।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, आने वाले दिनों में समाज और देश में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। रुके हुए कार्य पूरे होंगे। रुका हुआ धन प्राप्त होगा। आय के नए रास्ते खुलेंगे।
नौकरीपेशा को नए अवसर प्राप्त होंगे। नौकरी में प्रमोशन के योग बन रहे हैं। वहीं, जो लोग राजनीति में ऊंचे पदों पर जाना चाहते हैं, उनकी इच्छा पूरी होगी।