ग्वालियर | शिवपुरी प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राधाकिशन मालवीय की कोर्ट ने शुक्रवार को 10 हजार रुपए की रिश्वत के मामले में शिवपुरी जिले में एडीएम रहे जेडयू शेख (वर्तमान में मंत्रालय में पदस्थ हैं) को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा और अर्थदंड से दंडित किया है। छह साल पहले लोकायुक्त पुलिस ने जेडयू शेख को घूस लेते हुए रंगे हाथ उनके ही चैंबर में पकड़ा था। इसी रिश्वत मामले में कोर्ट ने बाबू (वर्तमान में रिटायर) रामगोपाल राठौर को भी चार साल का सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है।
पूर्व एडीएम और बाबू को जेल भेज दिया गया है। मालूम हो कि तत्कालीन एडीएम शेख के पास उस समय खनिज अधिकारी का प्रभार था। एक खदान की लीज के बदले में ही रिश्वत मांगी गई थी। रिश्वतकांड में नाम आने की वजह से शेख को आईएएस अवार्ड भी नहीं हो पाया था, जबकि इस कांड के अगले महीने ही होने वाली डीपीसी में इनका प्रस्तावित था।
फरियादी दिवाकर अग्रवाल ने शिवपुरी कलेक्ट्रेट में एक खदान की लीज के लिए आवेदन किया था। इसके लिए खनिज सेक्शन के क्लर्क गोपाल राठौर ने 30 हजार रु. की रिश्वत मांगी थी। दिवाकर को बताया था कि एडीएम शेख को भी हिस्सा देना होगा। गोपाल ने दिवाकर की बात भी एडीएम से करा दी थी। दिवाकर ने लोकायुक्त को शिकायत की।
लोकायुक्त टीम ने दिवाकर से एडीएम और क्लर्क की टेलीफोन पर बातचीत रिकाॅर्ड कराई। इसके बाद लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत की पहली किश्त के 15 हजार रुपए केमिकल युक्त नोट दिवाकर के जरिए एडीएम शेख को भेजे। इसमें पांच हजार बाबू ने रख लिए और दस हजार एडीएम को दिए। 7 नवंबर 2015 को एडीएम शेख ने जैसे ही रकम हाथ में ली तो इशारा पाकर टीम ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया और केस दर्ज कर लिया। इसके बाद क्लर्क गोपाल को भी हिरासत में ले लिया था।
आईएएस अवार्ड के लिए नाम प्रस्तावित था, नहीं हो पाया
62 साल के एडीएम जेडयू शेख राज्य प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के अधिकारी हैं। 1998 में अपर कलेक्टर बने। रिश्वतकांड में नाम आने के अगले महीने जेडयू शेख का नाम आईएएस अवार्ड के लिए होने वाली डीपीसी के लिए प्रस्तावित था। मार्च 2018 में भी मप्र के 17 अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा में अफसर बन गए। लेकिन रिश्वतकांड की वजह से जेडयू शेख को आईएएस अवार्ड नहीं हो पाया।