भोपाल। बेरोजगारों को रोजगार देने वाला प्रदेश का प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (व्यापमं) परीक्षा फीस लेकर हर साल 45 करोड़ 50 लाख रुपए कमा रहा है। व्यापमं ने 2011 से 2021 के बीच छात्रों से 1047 करोड़ रु. फीस ली, जिसमें से 592 करोड़ परीक्षाओं पर खर्च किए और 455 करोड़ रु. लाभ कमाया। लाभ की कमाई में से 404.35 करोड़ की एफडीआर चार बैंकों में जमा है।
विधायक जीतू पटवारी ने मंगलवार को विधानसभा में सरकार से पूछा कि व्यापमं द्वारा 2011-12 से 2021 तक ली गई फीस की राशि किन-किन बैंकों में जमा है? जब व्यापमं फीस से लाभ कमा रहा है तो बेरोजगारों से इतना शुल्क क्यों वसूल रहा। इसका लिखित जवाब तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे ने दिया।
उन्होंने कहा- पीईबी ने 12 जून 2015 को 10 करोड़ रु. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को दिए। परीक्षा शुल्क की बाकी राशि शासन एवं पीईबी की नीति के अनुसार मिलती है। बेरोजगारों से ली गई यह राशि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को क्यों दी गई। इसके बारे में विभाग के पास कोई जवाब नहीं है।
कमेटी चर्चा कर तय करती है फीस पीईबी के पास परीक्षा शुल्क तय करने के लिए कोई सूत्र नहीं है। अभी परीक्षा शुल्क तय करने के लिए एक कमेटी बना रखी है परीक्षार्थियों से हरेक परीक्षा के लिए 400 से लेकर 1300
रु. फीस लेते हैं। जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों की परीक्षा शुल्क संबंधित विभाग देता है।
इन परीक्षाओं की नहीं आई तारीख
पीईबी द्वारा कोरोना काल में स्थगित की गई आठ परीक्षाओं की अभी तारीख घोषित होना बाकी है। इनमें पुलिस सब इंस्पेक्टर. पटवारी, प्रशिक्षण अधिकारी आईटीआई ट्रेनिंग, साइक्रेटिक सोशल वर्कर, कार्यक्रम प्रबंधक बाल सुरक्षा, जिला प्रबंधक कौशल उन्नयन
आदि शामिल हैं।